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'कैंसर ट्रेन' पर केंद्र की संसद में बड़ी सफाई! रेलवे ने कहा - 'ऐसा कोई नाम नहीं', जानिए क्यों फैली थी यह धारणा ?

 

सरकार ने मंगलवार को कहा कि भारतीय रेलवे में 'कैंसर ट्रेन' नाम की कोई ट्रेन नहीं चलाई जा रही है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उनके अनुसार, रेल मंत्रालय ने सूचित किया है कि भारतीय रेलवे के अंतर्गत 'कैंसर ट्रेन' नाम की कोई ट्रेन नहीं चलाई जा रही है।

सरकार चला रही है संबंधित योजनाएँ
मंत्री ने संसद में बताया कि केंद्र सरकार देश भर में कैंसर उपचार सेवाओं को मज़बूत करने के लिए 'तृतीयक कैंसर देखभाल सुविधाओं को मज़बूत करने' की योजना चला रही है। इसके तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को राज्य कैंसर संस्थान (एससीआई) और तृतीयक कैंसर देखभाल केंद्र (टीसीसीसी) स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है।

45 करोड़ रुपये की सहायता दी जाती है
जाधव ने बताया कि प्रति राज्य कैंसर संस्थान अधिकतम 120 करोड़ रुपये और प्रति तृतीयक कैंसर देखभाल केंद्र 45 करोड़ रुपये की सहायता दी जाती है। उन्होंने बताया कि अब तक इस योजना के तहत कुल 39 संस्थानों (19 एससीआई और 20 टीसीसीसी) को मंज़ूरी दी जा चुकी है। इनमें सरकारी मेडिकल कॉलेज, अमृतसर, पंजाब में एससीआई और सिविल अस्पताल, फाजिल्का में टीसीसीसी शामिल हैं।

कीमोथेरेपी सेवाएँ प्रदान की जा रही हैं
मंत्री ने बताया कि सरकारी मेडिकल कॉलेज, अमृतसर में रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी सेवाएँ उपलब्ध हैं, जबकि सिविल अस्पताल, फाजिल्का में कीमोथेरेपी सेवाएँ प्रदान की जा रही हैं। उनके अनुसार, परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत टाटा मेमोरियल सेंटर ने सिविल अस्पताल परिसर, संगरूर, पंजाब में होमी भाभा कैंसर अस्पताल (एचबीसीएच) और न्यू चंडीगढ़ में होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र (एचबीसीएच एवं आरसी) की स्थापना की है, जो कार्यरत हैं। पंजाब सरकार की मुख्यमंत्री पंजाब कैंसर राहत कोष योजना (एमएमपीसीआरकेएस) के अंतर्गत फाजिल्का, पटियाला, फरीदकोट और बठिंडा में भी कैंसर उपचार सेवाएँ प्रदान की जा रही हैं।