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शिवाजी की मूर्ति पर क्यों हो रही इतनी राजनीती, क्‍या विरोधियों ने महाराष्ट्र को बांग्लादेश बनाने के लिए रची ये रणनीति?

 

नेशनल न्यूज़ डेस्क, महाराष्ट्र के सिद्धदुर्ग में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति ढहने के बाद से राज्‍य में शुरू हुआ बवाल थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। सिद्धदुर्ग में शिवाजी की मूर्ति के ढहने के बाद से लगातार विपक्षी नेता राज्‍य सरकार पर हमले कर रहे हैं। जबकि इस घटना के तुरंत बाद सरकार एक्‍शन में आ गई थी और मूर्तिकार और ऑडिट के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ तुरंत एफआईआर भी दर्ज करवाई।

इतना ही नहीं प्रदेश सरकार ने एक जांच समिति बनाई और घटना पर माफी मांगी और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उसी जगह पर एक नई मूर्ति बनाने का ऐलान भी किया। इस सबके बावजूद यह घटना महाराष्ट्र में राजनीतिक पैंतरेबाजी का केंद्र बन गई है। विपक्ष की हरकतों को सांप्रदायिक तनाव भड़काते हुए अपने एजेंडे के लिए स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।

बता दें विजय वडेट्टीवार, अंबादास दानवे, जयंत पाटिल, सतेज पाटिल और आदित्य ठाकरे समेत विपक्षी नेताओं ने घटना के बाद सिंद्धदुर्ग स्‍थल पर पहुंचे और उन्होंने स्थिति से निपटने के लिए सरकार के तरीके की आलोचना की। इसके अलावा सोशल मीडिया पर गिरी हुई मूर्ति की तस्वीरें साझा कीं, जिसे धार्मिक तनाव भड़काने की कोशिश माना गया।

मूर्ति ढहने पर महाराष्‍ट्र को बांग्लादेश बनाने की रणनीति

इन नेताओं की हरकतों को महाराष्ट्र में बांग्लादेश जैसी स्थिति पैदा करने की कोशिश बताया जा रहा है। उन पर राजनीतिक लाभ के लिए शिवाजी महाराज की विरासत को धोखा देने का आरोप है। शरद पवार की खास तौर पर आलोचना इस बात के लिए की जाती है कि वे राजनीतिक लाभ के लिए ब्राह्मणों और गैर-ब्राह्मणों के बीच दरार पैदा कर रहे हैं।

क्‍या इससे भी राजनीतिक फायदा उठा रहे विपक्षी नेता?

ये विपक्षी नेता प्रतिमा गिरने से पहले प्रतिमा देखने नहीं गए थे, लेकिन घटना के बाद राजकोट में एकत्र हुए। कथित तौर पर, उन्होंने किले में पार्टी के झंडे लहराते हुए सांसद नारायण राणे और उनके कार्यकर्ताओं के साथ दुर्व्यवहार भी किया। इस व्यवहार को समर्थन हासिल करने और विभिन्न समुदायों के बीच संघर्ष पैदा करने की राजनीतिक रणनीति के रूप में देखा गया।

विपक्ष ने लगाया ये आरोप

ये भी बताया गया कि कांग्रेस और एनसीपी मुगल बादशाह औरंगजेब के नाम पर बने शहर औरंगाबाद का नाम बदलने में विफल रही। विपक्षी नेताओं पर मुगलों की प्रशंसा करने और छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ हुए अन्याय की अनदेखी करने का आरोप लगाया गया।

विपक्षी नेताओं पर लगा ये गंभीर आरोप

एनसीपी प्रमुख शरद पवार, महाराष्‍ट्र कांग्रेस अध्‍यक्ष नाना पटोले और शिवसेना (यूबीटी) उद्धव ठाकरे द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जातिगत मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा। विपक्षी नेताओं पर सांप्रदायिक तनाव फैलाने और राज्य के भीतर विभाजन पैदा करने का प्रयास करने का आरोप लगाया गया।