धनबाद में पूर्व और वर्तमान अधिकारियों से अवैध आवास भत्ते की वसूली शुरू, कोयला खान भविष्य निधि संगठन पर सवाल
झारखंड के धनबाद में कोयला खान भविष्य निधि संगठन (CMPF) से जुड़े एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। संगठन के पूर्व आयुक्त विजय कुमार मिश्रा सहित क्षेत्रीय और सहायक आयुक्त स्तर के कई वरिष्ठ अधिकारियों पर गलत तरीके से आवास भत्ता (HRA) लेने का आरोप सिद्ध होने के बाद अब विभाग ने उनसे वसूली की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
जिन अधिकारियों पर गड़बड़ी के आरोप हैं, उनमें पूर्व आयुक्त विजय कुमार मिश्रा के साथ क्षेत्रीय एवं सहायक आयुक्त स्तर के अधिकारी कुमार आशुतोष, एके सिन्हा और सचिन गोयल शामिल हैं। इन सभी पर यह आरोप है कि इन्होंने नियमों की अनदेखी कर अनधिकृत रूप से आवास भत्ता प्राप्त किया।
सूत्रों के मुताबिक, यह भत्ता उन्हें तब भी मिलता रहा जब वे संगठन की ओर से आवंटित सरकारी आवास में रह रहे थे या फिर आवास की पात्रता समाप्त हो चुकी थी। नियमानुसार, यदि कोई अधिकारी सरकारी आवास में रह रहा हो तो उसे HRA नहीं दिया जा सकता। लेकिन इन अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखकर वर्षों तक यह भत्ता लिया।
इस मामले का खुलासा विभागीय ऑडिट और आंतरिक जांच के बाद हुआ। जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद CMPF संगठन के मुख्यालय स्तर पर उच्च अधिकारियों की बैठक हुई और सभी दोषी अधिकारियों से अनुचित रूप से ली गई राशि की वसूली का निर्णय लिया गया।
वसूली की प्रक्रिया शुरू
जानकारी के अनुसार, जिन अधिकारियों से वसूली की प्रक्रिया शुरू की गई है, उन्हें स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि निर्धारित समय सीमा के भीतर राशि जमा करें। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो उनके वेतन या पेंशन से राशि की कटौती कर वसूली की जाएगी।
प्रशासन की कार्रवाई पर नजर
इस पूरे मामले ने कोयला खान भविष्य निधि संगठन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। कई कर्मचारियों ने मांग की है कि भविष्य में इस तरह की वित्तीय अनियमितताओं को रोकने के लिए पारदर्शी और जवाबदेह प्रणाली विकसित की जाए।
नैतिक जवाबदेही पर बहस
इस मामले ने नौकरशाही के एक हिस्से की नैतिकता और जिम्मेदारी पर भी बहस छेड़ दी है। ऐसे वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा नियमों की अवहेलना कर सरकारी धन का दुरुपयोग करना जनता के पैसे की अवमानना मानी जा रही है।