उर्दू शिक्षक ट्रांसफर विवाद पर MP हाईकोर्ट का अहम फैसला, 30 दिन में निपटारे के निर्देश
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने उर्दू विषय के शिक्षकों के स्थानांतरण विवाद पर एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा है कि उर्दू पढ़ाने वाले शिक्षक को वहीं पदस्थ किया जाए जहां उर्दू विषय का पद स्वीकृत है और विद्यार्थी भी उपस्थित हैं।
यह फैसला उन मामलों में मार्गदर्शक साबित होगा, जहां शिक्षकों को ऐसे स्थानों पर स्थानांतरित किया जा रहा है, जहां उनके विषय की पढ़ाई ही नहीं होती। कोर्ट ने यह भी कहा कि ट्रांसफर आदेश के खिलाफ दिए गए रिप्रेजेंटेशन का निपटारा संबंधित अधिकारी 30 दिन के भीतर करें।
याचिका में क्या कहा गया था?
याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि उन्हें एक ऐसे स्कूल में स्थानांतरित कर दिया गया है जहां उर्दू विषय की न तो पढ़ाई होती है और न ही विद्यार्थी हैं। यह न सिर्फ शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है, बल्कि संसाधनों की भी बर्बादी है।
कोर्ट का रुख
कोर्ट ने कहा कि शिक्षकों का स्थानांतरण इस तरह किया जाना चाहिए जिससे छात्रों की शिक्षा प्रभावित न हो। यदि किसी विषय के शिक्षक को ऐसे स्कूल में भेजा जाता है जहां उस विषय की मांग ही नहीं है, तो यह प्रशासनिक गलती है।
प्रशासन को निर्देश
हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिया है कि
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उर्दू शिक्षकों की पदस्थापना उर्दू पढ़ने वाले विद्यार्थियों और स्वीकृत पदों के अनुसार की जाए।
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यदि किसी शिक्षक ने स्थानांतरण आदेश के खिलाफ रिप्रेजेंटेशन दायर किया है, तो उसका 30 दिन के भीतर समाधान किया जाए।
शिक्षा व्यवस्था पर प्रभाव
इस फैसले से प्रदेश में विषय आधारित शिक्षक नियुक्तियों और स्थानांतरण की प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित होगी। खासतौर पर अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों के हितों की रक्षा में यह आदेश मील का पत्थर माना जा रहा है।