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मालेगांव ब्लास्ट केस में बड़ा खुलासा, पूर्व ATS अफसर का दावा – RSS प्रमुख मोहन भागवत को फंसाने की थी साजिश

 

वर्ष 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए धमाकों से जुड़ा मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। करीब 17 साल बाद, 31 जुलाई 2025 को NIA की विशेष अदालत ने इस बहुचर्चित केस में फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया। इनमें बीजेपी की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित और अन्य प्रमुख नाम शामिल हैं। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत पेश करने में असफल रहा।

हालांकि इस फैसले के बाद एक और बड़ा मोड़ आया है। महाराष्ट्र पुलिस और एटीएस (ATS) के एक पूर्व अधिकारी ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए दावा किया है कि इस मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत को जानबूझकर फंसाने की कोशिश की जा रही थी। इस दावे के बाद राजनीतिक गलियारों से लेकर जांच एजेंसियों तक में हलचल मच गई है।

पूर्व अधिकारी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि तत्कालीन राजनीतिक दबाव में जांच को एक खास दिशा में मोड़ा गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि जांच के शुरुआती दौर में उन पर दबाव बनाया गया था कि वे मामले की कड़ी किसी ‘हिंदू आतंकवाद’ से जोड़ें और संघ परिवार को लपेटे में लें। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें संकेत दिए गए थे कि अगर मोहन भागवत का नाम सामने लाया जाए तो कुछ 'इनाम' मिल सकते हैं।

बता दें कि 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में 6 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे। प्रारंभिक जांच महाराष्ट्र एटीएस ने की थी, जिसने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, कर्नल पुरोहित सहित कई अन्य को आरोपी बनाया था। बाद में यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दिया गया।

विशेष अदालत में लंबे समय तक चली सुनवाई में कई गवाह अपने बयान से पलट गए। अदालत ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए रिहा कर दिया। अब इस पूरे प्रकरण में एक पूर्व जांच अधिकारी द्वारा सामने लाए गए तथ्यों ने मामले को और भी गंभीर बना दिया है।

आरएसएस की ओर से इस खुलासे पर तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए कहा गया कि यह बात पहले दिन से कही जा रही थी कि यह पूरा मामला राजनीति से प्रेरित था। संघ के प्रवक्ता ने कहा, “आज न्यायालय ने हमारे पक्ष को सही ठहराया और अब जब एक पूर्व अधिकारी ने साजिश का पर्दाफाश किया है, तो इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।”

फिलहाल यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार इस दावे की जांच के आदेश देती है, और यदि हां, तो क्या इस मामले में कोई नई जांच शुरू होगी। लेकिन इतना तय है कि मालेगांव ब्लास्ट केस अब एक नए मोड़ पर आ गया है।