×

सुप्रीम कोर्ट की डेडलाइन के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में गर्माहट, उद्धव ठाकरे ने बागियों पर कड़ी शर्त रखी

 

सुप्रीम कोर्ट द्वारा महाराष्ट्र में लोकल बॉडी इलेक्शन के लिए डेडलाइन तय किए जाने के बाद राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। कोर्ट के आदेश के मुताबिक, राज्य सरकार और चुनाव आयोग को 31 जनवरी 2026 से पहले सभी स्थानीय निकाय चुनाव संपन्न कराने होंगे।

राज्य में स्थानीय निकाय चुनावों में सबसे अधिक हाईप्रोफाइल माना जा रहा है मुंबई का बीएमसी चुनाव, जो राजनीतिक दलों के लिए सत्ता की परीक्षा जैसा है। इस चुनाव की तैयारी के बीच शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पार्टी में शामिल बागियों के घर वापसी के लिए कड़ी शर्त रख दी है।

उद्धव ठाकरे ने स्पष्ट किया कि बागियों को पार्टी में वापसी की हरी झंडी दी गई है, लेकिन जो लोग वापस आएंगे, उन्हें टिकट देने की कोई गारंटी नहीं दी जाएगी। ठाकरे की यह रणनीति ऐसे समय पर सामने आई है जब पिछले कुछ दिनों से यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि एकनाथ शिंदे के साथ गए 15 पूर्व नगर सेवक वापस लौटना चाहते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि उद्धव ठाकरे की यह नीति पार्टी अनुशासन और संगठनात्मक ताकत बनाए रखने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। उद्धव ने पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को भी स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि पार्टी के हित को हमेशा व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा से ऊपर रखा जाए।

बीएमसी चुनावों को लेकर उद्धव ठाकरे ने यह संकेत भी दिया कि पूर्व बागियों की वापसी केवल संगठन को मजबूत करने के लिए है, और चुनावी टिकट केवल उन नेताओं को दिया जाएगा जो पार्टी के लिए समर्पित और अनुशासित हैं। इससे यह साफ संदेश गया है कि शिवसेना (यूबीटी) अपनी चुनावी रणनीति में अनुशासन और जवाबदेही को प्राथमिकता दे रही है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह की रणनीति से उद्धव ठाकरे पार्टी में एकजुटता बनाए रखने और संभावित मतभेदों को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं। बीएमसी सहित अन्य स्थानीय निकाय चुनावों में पार्टी की पकड़ और उसकी सियासी ताकत का परीक्षण होने वाला है।

उद्धव ठाकरे की यह घोषणा स्थानीय राजनीति में सक्रिय चर्चा का विषय बन गई है। पार्टी में लौटने वाले बागियों के लिए टिकट न देने की शर्त ने चुनावी रणनीति और अगले चरण के राजनीतिक समीकरण को भी प्रभावित किया है।

कुल मिलाकर, सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई 31 जनवरी 2026 की डेडलाइन के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में सक्रियता और रणनीतिक चालों का दौर शुरू हो गया है। उद्धव ठाकरे की कड़ी शर्तें और बीएमसी चुनाव की तैयारी यह संकेत देती हैं कि शिवसेना (यूबीटी) संगठनात्मक मजबूती और अनुशासन को सर्वोपरि रखते हुए चुनाव मैदान में उतरेगी।