11 जुलाई 2006, मुंबई लोकल ट्रेनों में भयानक ब्लास्ट, शहर थम गया
11 जुलाई 2006 की शाम लगभग 6:24 बजे की बात है। मुंबई के प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर दफ्तर से लौट रहे लोगों की भारी भीड़ जुटी थी। मायानगरी की रफ्तार की पहचान कही जाने वाली लोकल ट्रेनें भी यात्रियों से खचाखच भरी हुई थीं। इस व्यस्त समय में अचानक एक जोरदार धमाका हुआ, जिसने मुंबई की लाइफलाइन को झकझोर कर रख दिया।
धमाके की तेज आवाज सुनते ही स्टेशन पर अफरातफरी मच गई और लोग आपस में टकराने लगे। लोग भागने लगे, भगदड़ मची और चारों ओर चीख-पुकार का माहौल बन गया। लेकिन ये पहला धमाका मात्र था। इसके बाद एक के बाद एक लगातार सात लोकल ट्रेनों में बम ब्लास्ट हुए, जिनमें भारी तबाही मची। इन विस्फोटों ने मुंबई को हिला कर रख दिया और लोगों के दिलों में खौफ का साया फैला दिया।
यह घटना मुंबई के इतिहास में एक काला दिन साबित हुई। सैकड़ों लोगों की मौत हुई, कई दर्जन लोग गंभीर रूप से घायल हुए और हजारों लोग मानसिक और शारीरिक रूप से प्रभावित हुए। शहर की सुरक्षा व्यवस्था और निगरानी प्रणालियों पर भी सवाल उठने लगे।
इस हमले ने न केवल मुंबई को बल्कि पूरे देश को आतंकवाद के खिलाफ सावधान किया। जांच एजेंसियों ने मामले की गहनता से जांच शुरू की, आरोपी गिरफ्तार किए गए और अदालतों में मुकदमे चलाए गए।
11 जुलाई 2006 का यह दिन मुंबई की लोकल ट्रेन सेवा के इतिहास में एक दर्दनाक घड़ी के रूप में हमेशा याद रखा जाएगा। यह घटना हमें सुरक्षा के महत्व, सतर्कता और आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की सीख देती है।