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गठबंधन या विलय? राज ठाकरे ने सभी पदाधिकारियों को दिया ये आदेश!

 

राज ठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के नेताओं को दिए गए आदेश से महाराष्ट्र की सियासत में नई टेंशन पैदा हो गई है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और मनसे के बीच संभावित गठबंधन की चर्चा पहले से जोरों पर थी, लेकिन राज ठाकरे ने अपने सभी पदाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि इस मुद्दे पर बिना उनकी अनुमति कोई भी बयान न दिया जाए। उनका कहना है कि गठबंधन या किसी भी राजनीतिक बातचीत को लेकर कोई भी चर्चा बिना परमिशन के नहीं करनी चाहिए।

ठाकरे भाइयों के साथ आने पर सियासी भ्रम

राज ठाकरे का यह आदेश इस बात को लेकर संशय पैदा कर रहा है कि क्या वे सच में अपने भाई उद्धव ठाकरे के साथ मिलकर राजनीति करने जा रहे हैं या फिर यह महज राजनीतिक रणनीति भर है। हाल ही में वर्ली के NSCI डोम में आयोजित मराठी जल्लोष मेळावा कार्यक्रम में दोनों ठाकरे भाई एक ही मंच पर नजर आए थे। इस कार्यक्रम ने दोनों दलों के बीच गठबंधन की उम्मीदों को बढ़ावा दिया था, लेकिन राज ठाकरे द्वारा इस तरह के आदेश ने इन चर्चाओं में अचानक ठहराव ला दिया है।

मराठी के मुद्दे पर एकजुटता का संदेश

राज और उद्धव ठाकरे ने 20 वर्षों बाद मिलकर मराठी विजय रैली निकाली थी, जिसमें उन्होंने मराठी भाषा और मराठी जनता के हित के लिए एकजुट रहने का संदेश दिया। इस रैली के दौरान उद्धव ठाकरे ने नगर निकाय चुनावों का बिगुल फूंका और दोनों भाइयों ने मिलकर बीएमसी (बृहन्मुंबई महानगरपालिका) और महाराष्ट्र में सत्ता हासिल करने का संकल्प जताया।

राज ठाकरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर भी हमला बोला और कहा कि मुख्यमंत्री ने ठाकरे भाइयों को एक साथ लाकर वह काम कर दिखाया जो बालासाहेब ठाकरे भी नहीं कर पाए थे। इस बयान ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है।

2005 में हुई थी अलगाव की शुरुआत

राज ठाकरे ने 2005 में शिवसेना से अलग होकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) का गठन किया था। तब से वे अपने अलग राजनीतिक रास्ते पर चल रहे हैं। शिवसेना और मनसे के बीच वर्षों से राजनीतिक दूरी रही है, लेकिन अब अचानक दोनों के बीच तालमेल की चर्चा ने महाराष्ट्र की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है।

भविष्य की अनिश्चितता

राज ठाकरे के इस सख्त आदेश के बाद राजनीतिक विशेषज्ञ और जनता दोनों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह गठबंधन वास्तव में होगा या नहीं। क्या राज ठाकरे राजनीतिक लाभ के लिए इन चर्चाओं का फायदा उठा रहे हैं, या वे सच में अपने भाई के साथ मिलकर मराठी हित के लिए कदम बढ़ाने जा रहे हैं?

उधर, शिवसेना (यूबीटी) ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, जिससे सियासी हलचल और बढ़ गई है। आगामी दिनों में इस गठबंधन को लेकर और साफ तस्वीर सामने आएगी, लेकिन फिलहाल दोनों दलों के बीच रिश्ते को लेकर काफी असमंजस का माहौल बना हुआ है।