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आखिर क्यों महाराष्ट्र के किसानों ने लगाई सरकार से गांजा-अफीम उगाने की गहार? जानें पूरा मामला

 

महाराष्ट्र के अमरावती में किसानों ने राज्य सरकार की कृषि नीतियों और वादों के खिलाफ अनोखे अंदाज में अपना गुस्सा जाहिर किया है। ये किसान अमरावती जिले के नंदगांव खंडेश्वर तालुका के सुकली गाँव के हैं। यहाँ एक किसान ने खेत में फसलों की जगह भाजपा के झंडे लगाए हैं और सरकार के खिलाफ कड़े शब्दों वाला एक बैनर भी लगाया है। इस प्रतीकात्मक आंदोलन ने न केवल क्षेत्र में बल्कि पूरे राज्य में चर्चा का विषय बना दिया है। इस आंदोलन की पृष्ठभूमि पूर्व राज्य मंत्री बच्चू कडू द्वारा पापल गाँव से शुरू की गई 135 किलोमीटर लंबी 'सातबारा कोर' पदयात्रा से जुड़ी है। इस पदयात्रा के रास्ते में पड़ने वाले सुकली गाँव में किसानों का यह विरोध प्रदर्शन सरकार के प्रति गहरा गुस्सा दर्शाता है।

"अब खेती नहीं, बस झंडे गाड़ने हैं!"

सुकली के इस किसान ने अपने खेत में लगे एक बैनर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार की बैलगाड़ी पर बैठी तस्वीरें लगाई हैं, जिसके नीचे एक तीखा संदेश लिखा है: "अब बुवाई बंद करो! ये नेता जो गरीबों की जान के पीछे पड़े हैं... अब या तो गांजा और अफीम बोओ, वरना हम पार्टी के झंडे लगा देंगे!" किसानों ने कहा कि खेती अब घाटे का सौदा बन गई है। लागत बढ़ती जा रही है, लेकिन फसलों के दाम नाममात्र के हैं। ऐसे में या तो सरकार उनकी ज़मीन अधिग्रहित करके खेती करे या उन्हें नशीली फ़सलें उगाने की इजाज़त दे।

बच्चू कडू का सरकार पर सीधा हमला

बच्चू कडू ने इस आंदोलन का समर्थन करते हुए भाजपा पर कड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा- "अब किसानों का गुस्सा भाजपा के झंडों के ख़िलाफ़ दिख रहा है। केंद्र में आपकी सत्ता, राज्य में आपकी सत्ता, नगर पालिका और ज़िला परिषद भी आपकी... अब सिर्फ़ खेती बची थी, वहाँ भी अपने झंडे गाड़ दिए। एक एकड़ में बीज, खाद, मज़दूरी वगैरह पर 20 हज़ार का खर्च आता है, लेकिन फ़सल से मुश्किल से 12 हज़ार की आमदनी होती है। ऐसे में झंडे गाड़ना आसान है!"

कडू ने माँग की कि सरकार तुरंत कर्ज़ माफ़ी लागू करे और किसानों को राहत दे, वरना ऐसे प्रतीकात्मक आंदोलनों की संख्या बढ़ती जाएगी। यह आंदोलन न सिर्फ़ किसानों की हताशा को दर्शाता है, बल्कि सरकार को साफ़ संदेश भी देता है कि अब सिर्फ़ नारेबाज़ी नहीं, बल्कि ठोस कदम उठाने का समय है। अगर सरकार समय रहते ध्यान नहीं देती, तो ऐसे विरोध प्रदर्शन और भी हिंसक रूप ले सकते हैं।