मध्य प्रदेश में पुलिस के नए आरक्षकों की ट्रेनिंग शुरू, फिजिकल ट्रेनिंग के साथ रामचरितमानस का पाठ भी
मध्य प्रदेश में पुलिस विभाग में भर्ती किए गए नए आरक्षकों की ट्रेनिंग का आगाज हो चुका है। प्रदेश के 8 अलग-अलग ट्रेनिंग सेंटरों में करीब 3,800 नए पुलिसकर्मियों को 9 महीने तक प्रशिक्षित किया जाएगा। हालांकि, इस बार की ट्रेनिंग कुछ खास है क्योंकि इसे शारीरिक प्रशिक्षण के साथ-साथ धार्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं का भी हिस्सा बनाया गया है। इस बार के प्रशिक्षण में पुलिसकर्मियों को रामचरितमानस का पाठ भी करवाया जाएगा, जो इस ट्रेनिंग को विशेष बनाता है।
9 महीने की ट्रेनिंग में शारीरिक और मानसिक मजबूती पर जोर
नए आरक्षकों को पुलिस सेवा में आने के बाद जनता की सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से तैयार किया जाता है। ट्रेनिंग का यह दौर करीब 9 महीने तक चलेगा, जिसमें शारीरिक फिटनेस, हथियारों का इस्तेमाल, जांच प्रक्रिया, और कानून की जानकारी दी जाएगी। इन आरक्षकों को पुलिसिंग की बुनियादी तकनीकें सिखाई जाएंगी, साथ ही उन्हें मानसिक रूप से भी मजबूत बनाया जाएगा ताकि वे किसी भी चुनौती का सामना कर सकें।
रामचरितमानस का पाठ: मानसिक शांति और नैतिकता का पाठ
लेकिन इस बार की ट्रेनिंग में एक नई बात जो शामिल की गई है, वह है रामचरितमानस का पाठ। प्रशिक्षु आरक्षक अब अपने शारीरिक अभ्यास के साथ-साथ इस धार्मिक ग्रंथ का भी नियमित पाठ करेंगे। ट्रेनिंग के अधिकारियों का मानना है कि रामचरितमानस के पाठ से पुलिसकर्मियों में नैतिकता, अनुशासन, और मानसिक शांति का विकास होगा, जो उन्हें अपने काम में और समाज में बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करेगा। इसके अलावा, रामचरितमानस का पाठ भारतीय संस्कृति और धार्मिक मूल्यों को समझने में भी मदद करेगा, जो पुलिसकर्मियों के व्यक्तित्व में संतुलन और आदर्श विचारधारा लाने का काम करेगा।
प्रशिक्षण के उद्देश्य
मध्य प्रदेश पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि इस बार की ट्रेनिंग का उद्देश्य सिर्फ शारीरिक दक्षता ही नहीं, बल्कि प्रशिक्षुओं के मानसिक और आत्मिक संतुलन को भी मजबूत करना है। रामचरितमानस का पाठ इसे बेहतर बनाने का एक तरीका है, क्योंकि यह न केवल धर्म से संबंधित है, बल्कि जीवन में अनुशासन, संघर्ष, और कर्तव्यनिष्ठा जैसे मूल्यों को भी सिखाता है।
स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया
इस नई पहल को लेकर स्थानीय समुदाय और विभिन्न सामाजिक वर्गों में मिश्रित प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ लोग इसे पुलिस के प्रशिक्षण में एक सकारात्मक कदम मान रहे हैं, जो मानसिक रूप से पुलिसकर्मियों को मजबूत बनाएगा। वहीं, कुछ लोग इसे विवादित भी मान रहे हैं, क्योंकि सरकारी प्रशिक्षण में धार्मिक शिक्षा का समावेश समाज के कुछ हिस्सों में असहमति का कारण बन सकता है।
आगे की योजना
इस प्रशिक्षण के बाद, जब ये नए आरक्षक अपने कार्य क्षेत्र में तैनात होंगे, तो उनका उद्देश्य प्रदेश में कानून-व्यवस्था बनाए रखना, अपराधियों पर कड़ी निगरानी रखना और नागरिकों की सुरक्षा करना होगा। प्रशासन की योजना है कि भविष्य में ऐसे और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएं, जो पुलिस बल को और अधिक सक्षम और संवेदनशील बनाएं।