आरएसएस की 100 साल की यात्रा: नागपुर से पूरे देश में प्रभाव
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने स्थापना के 100 साल पूरे कर लिए हैं। इस शताब्दी में संघ और उसकी विचारधारा शायद ही कभी सुर्खियों से दूर रही हो। संगठन ने समाज, राजनीति और संस्कृति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रभाव छोड़ा है।
संघ और राजनीति
साल 2014 में जब केन्द्र में भाजपा की सरकार बनी, तब दावा किया गया कि पहले की तुलना में संघ का राजनीतिक प्रभाव कई गुना बढ़ गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि वर्तमान दौर में संघ अपनी सबसे मजबूत स्थिति में है। संघ का यह राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव केवल संगठनों या जन आंदोलनों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नीति निर्माण और प्रशासनिक निर्णयों पर भी प्रभाव डालता है।
संघ की शुरुआत और विस्तार
संघ की कहानी नागपुर से शुरू हुई, लेकिन इसका प्रभाव पूरे देश में फैल गया है। संघ ने शिक्षा, सामाजिक सेवा, सांस्कृतिक चेतना और राष्ट्रभक्ति के माध्यम से अपने आदर्शों को जन-जन तक पहुँचाया। आज संघ देश के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय है और इसके हजारों स्वयंसेवक समाज में विभिन्न क्षेत्रों में योगदान दे रहे हैं।
मध्य प्रदेश का महत्व
मध्य प्रदेश को संघ का ‘मायका’ या ‘प्रयोगशाला’ कहा जाता है। यहाँ संघ ने विभिन्न सामाजिक और शैक्षणिक गतिविधियों के माध्यम से अपने विचारों का विस्तार किया। प्रदेश में संघ की गतिविधियाँ चुनावी राजनीति, शिक्षा और सामाजिक चेतना में प्रभाव डाल रही हैं।
संघ की सामाजिक भूमिका
संघ ने हमेशा समाज में नैतिक और सांस्कृतिक चेतना को बढ़ावा देने पर जोर दिया है। इसके कार्यक्रमों और शिविरों के माध्यम से युवाओं में नेतृत्व, अनुशासन और सेवा भावना विकसित की जाती है। इसके अलावा, आपदा प्रबंधन और सामाजिक सेवा में भी संघ ने कई योगदान दिए हैं।
विशेषज्ञों का दृष्टिकोण
विशेषज्ञों का मानना है कि संघ की स्थायित्व और प्रभाव का मुख्य कारण इसका संगठित ढांचा और अनुशासन है। यह संगठन केवल राजनीतिक लाभ के लिए काम नहीं करता, बल्कि समाज में दीर्घकालीन परिवर्तन लाने की दिशा में सक्रिय है।