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ओंकारेश्वर में शिवभक्तों के स्वागत की तैयारी तेज, मंदिर ट्रस्ट और प्रशासन ने बनाई विशेष कार्य योजना

 

सनातन धर्म में श्रावण मास का विशेष महत्व है, और इस दौरान भगवान शिव के भक्त देशभर के शिव मंदिरों में उमड़ पड़ते हैं। खासकर ज्योतिर्लिंगों में तो श्रद्धालुओं की भीड़ एक जनसैलाब का रूप ले लेती है। इसी क्रम में मध्य प्रदेश के खंडवा जिले की पवित्र तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में भी श्रावण मास 2025 को लेकर व्यापक तैयारियां की जा रही हैं।

श्रावण मास इस वर्ष 14 जुलाई से आरंभ होकर 28 अगस्त 2025 तक चलेगा। इस बार कुल छह सोमवार पड़ेंगे, जिन्हें शिवभक्त विशेष रूप से व्रत और पूजन-अर्चन के लिए अति पुण्यकारी मानते हैं।

विशेष बैठक में बनी कार्य योजना

श्रावण मास के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या में भारी इजाफा होता है। इसी को देखते हुए ओंकारेश्वर मंदिर ट्रस्ट और स्थानीय प्रशासन के बीच शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में श्रद्धालुओं की सुरक्षा, सुविधाएं, यातायात व्यवस्था और आपात सेवाओं पर खास जोर दिया गया।

बैठक में यह निर्णय लिया गया कि—

  • मंदिर परिसर में सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन से निगरानी की जाएगी।

  • श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जलपान केंद्र, मोबाइल शौचालय और मेडिकल कैंप लगाए जाएंगे।

  • श्रद्धालुओं के लिए ऑनलाइन दर्शन व्यवस्था को भी मजबूत किया जाएगा।

  • भीड़ प्रबंधन के लिए पुलिस, होमगार्ड और स्वयंसेवकों की अतिरिक्त तैनाती की जाएगी।

विशेष आकर्षण और धार्मिक अनुष्ठान

श्रावण मास के दौरान ओंकारेश्वर में—

  • प्रत्येक सोमवार को विशेष रुद्राभिषेक और महाआरती का आयोजन होगा।

  • देशभर से आए कांवड़ियों और शिवभक्तों के लिए विशेष रूट और विश्राम स्थलों की व्यवस्था की गई है।

  • नर्मदा घाटों पर स्वच्छता अभियान के साथ-साथ श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा उपाय भी सुनिश्चित किए जाएंगे।

लाखों श्रद्धालुओं की अपेक्षा

हर वर्ष की तरह इस बार भी श्रावण मास में ओंकारेश्वर में लाखों श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई जा रही है। प्रशासन का अनुमान है कि हर सोमवार को लगभग 2 से 3 लाख श्रद्धालु ओंकारेश्वर पहुंच सकते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए ट्रैफिक रूट में बदलाव, पार्किंग की व्यवस्था, और जल सेवा के विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं।

श्रद्धालुओं से अपील

मंदिर ट्रस्ट और प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे—

  • कोविड-19 के संभावित दिशा-निर्देशों का पालन करें।

  • प्रदूषण मुक्त यात्रा और स्वच्छता अभियान में सहयोग करें।

  • दर्शन के दौरान संयम और अनुशासन बनाए रखें।