इंदौर में ट्रैफिक जाम से जूझती जनता, पुलिस चालान काटने में व्यस्त, जनप्रतिनिधियों की रैलियों से और बिगड़ा हालात
मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर इन दिनों भीषण ट्रैफिक जाम की चपेट में है। शहर की सड़कों पर वाहनों की लंबी कतारें, घंटों फंसे लोग और जाम के कारण अस्पताल, स्कूल व ऑफिस पहुंचने में देरी आम बात हो गई है। हैरानी की बात यह है कि इन हालातों में पुलिस की सक्रियता चालान काटने तक सीमित है, जबकि जाम प्रबंधन पूरी तरह लचर नजर आ रहा है।
जाम में फंसी रही सांसें, पुलिस नदारद
शहर के प्रमुख क्षेत्रों – जैसे विजयनगर, पलासिया, रीगल चौराहा, भंवरकुआं, एरोड्रम रोड आदि में ट्रैफिक की स्थिति बदतर होती जा रही है। वहां न तो ट्रैफिक पुलिसकर्मी नजर आते हैं और न ही कोई अधिकारी व्यवस्थाओं को नियंत्रित करता दिख रहा है।
नेताओं की रैलियों ने बढ़ाया बोझ
शहर में ट्रैफिक की इस गंभीर स्थिति के बीच राजनीतिक आयोजनों ने हालात को और बिगाड़ दिया है।
कल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के इंदौर आगमन पर आयोजित शक्ति प्रदर्शन के चलते पूरे शहर में ट्रैफिक तीन घंटे तक पूरी तरह जाम रहा। सैकड़ों वाहन फंसे रहे, एम्बुलेंस तक रास्ता नहीं पा सकी, और जनता परेशान होती रही, जबकि नेता रैली में ताकत दिखाते रहे।
जनता में नाराजगी
स्थानीय लोगों का कहना है कि "पुलिस चालान काटने के लिए अचानक हर जगह दिखती है, लेकिन ट्रैफिक संभालने के वक्त पूरी तरह गायब हो जाती है।"
जनता ने यह भी आरोप लगाया कि जनप्रतिनिधि केवल अपने कार्यक्रमों तक सीमित हैं और शहर की जमीनी समस्याओं से उन्हें कोई सरोकार नहीं है।
क्या चाहिए जनता को?
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जाम प्रभावित क्षेत्रों में ट्रैफिक पुलिस की नियमित तैनाती
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राजनीतिक रैलियों के लिए वैकल्पिक मार्ग और ट्रैफिक प्लान
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जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय हो
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डिजिटल ट्रैफिक सिस्टम और स्मार्ट सिग्नल का सही उपयोग