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अश्विन मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर बाबा महाकाल के दरबार में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

 

अश्विन मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर शनिवार सुबह उज्जैन के प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती के दौरान हजारों श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा। भक्तों ने देर रात से ही मंदिर के बाहर लंबी कतारें लगाकर बाबा महाकाल के दर्शन का इंतजार किया। मंदिर परिसर पूरी तरह भक्तिमय माहौल में बदल गया और जय श्री महाकाल के जयकारों से गुंजायमान हो उठा।

जानकारी के अनुसार, भस्म आरती सुबह 4 बजे से शुरू हुई। बाबा महाकाल भी भक्तों को दर्शन देने के लिए सुबह 4 बजे जागे और अपनी पवित्र झलक भक्तों को दी। भस्म आरती के दौरान पूरे मंदिर परिसर में भक्तों की श्रद्धा और भक्ति का माहौल देखने लायक था। इस मौके पर भक्त अपने ईष्ट देव बाबा महाकाल के प्रति अपनी भक्ति और आस्था प्रकट करते हुए उपस्थित हुए।

मंदिर प्रशासन ने भी इस अवसर पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। भीड़ के बावजूद दर्शन व्यवस्था को व्यवस्थित बनाए रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए। मंदिर के अधिकारी बताते हैं कि इस अवसर पर विशेष रूप से मंदिर परिसर में आवाजाही और दर्शन व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए सभी प्रबंध किए गए थे।

भक्तों का कहना है कि भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल का दर्शन अत्यंत अद्भुत अनुभव है। उन्होंने कहा कि देर रात से कतार में लगकर दर्शन करने का इंतजार करना भी इस भक्ति यात्रा का हिस्सा है। इसके अलावा, भक्तों ने मंदिर परिसर में लगाई गई सजावट और धार्मिक वातावरण की भी सराहना की।

धार्मिक विशेषज्ञों का कहना है कि अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का महाकालेश्वर मंदिर में विशेष महत्व है। इस दिन भस्म आरती और रात्रि जागरण का आयोजन भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है और उन्हें मानसिक शांति का अनुभव होता है।

मंदिर में उपस्थित श्रद्धालुओं ने बताया कि सुबह के समय भस्म आरती के दौरान मंदिर के गर्भगृह और मंडप में जय श्री महाकाल की गूंज हर किसी के मन को मोह रही थी। भक्तों ने अपने परिवार और प्रियजनों के साथ मिलकर दर्शन किए और आशीर्वाद प्राप्त किया।

मंदिर प्रशासन ने लोगों से अपील की कि दर्शन के दौरान अनुशासन बनाए रखें और भीड़ प्रबंधन में सहयोग करें। सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन ने आवश्यक कदम उठाए हैं।

इस अवसर पर न केवल स्थानीय श्रद्धालु बल्कि दूर-दूर से आए भक्तों ने भी भाग लिया। इस भव्य आयोजन ने उज्जैन को धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से एक बार फिर जीवंत कर दिया। बाबा महाकाल के दरबार में उमड़ी इस श्रद्धा की भीड़ ने यह साबित किया कि उनकी भक्ति और आस्था आज भी लोगों के हृदय में गहरी रूप से जीवित है।