×

महाकाल मंदिर में अब केवल तीन किलो भांग से होगा भगवान का शृंगार, समिति ने तय की नई व्यवस्था

 

ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में भगवान महाकाल के शृंगार की परंपरा से जुड़ा बड़ा बदलाव किया गया है। अब पुजारी भगवान के शृंगार में तीन किलो से अधिक भांग का उपयोग नहीं कर सकेंगे। मंदिर प्रबंधन समिति ने यह निर्णय ज्योतिर्लिंग के संरक्षण और क्षरण को रोकने के उद्देश्य से लिया है।

पहले होता था पांच से सात किलो भांग का उपयोग

मंदिर परंपरा के अनुसार, महाकाल का शृंगार प्रतिदिन विशेष विधि-विधान से किया जाता है। इस दौरान भांग का लेप एक अहम हिस्सा रहा है। अब तक इस शृंगार में पांच से सात किलो तक भांग का उपयोग किया जाता था। लेकिन विशेषज्ञों की रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि अत्यधिक मात्रा में भांग और अन्य पदार्थों के प्रयोग से ज्योतिर्लिंग की सतह को क्षति पहुंचने का खतरा है।

वजन की होगी निगरानी

नई व्यवस्था के तहत मंदिर समिति ने मंदिर परिसर में तौल कांटा लगाने का निर्णय लिया है। शृंगार से पहले भांग का वजन कराना अनिवार्य होगा, ताकि निर्धारित सीमा से अधिक भांग का उपयोग न हो। समिति का कहना है कि यह कदम न केवल परंपरा को संरक्षित रखेगा, बल्कि ज्योतिर्लिंग की दीर्घकालिक सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगा।

विशेषज्ञों की सिफारिश पर लिया फैसला

मंदिर समिति के सदस्यों ने बताया कि यह निर्णय विशेषज्ञों और पुरातत्वविदों की सिफारिश पर लिया गया है। समय-समय पर ज्योतिर्लिंग की जांच की जाती रही है और रिपोर्ट में पाया गया कि रसायनयुक्त या अत्यधिक पदार्थों के प्रयोग से पत्थर की सतह को नुकसान हो सकता है।

परंपरा और संरक्षण का संतुलन

मंदिर प्रबंधन का कहना है कि भांग का शृंगार महाकाल परंपरा का अहम हिस्सा है, लेकिन परंपरा के साथ-साथ ज्योतिर्लिंग का संरक्षण भी उतना ही जरूरी है। इसलिए भांग की मात्रा घटाकर तीन किलो कर दी गई है। इससे न केवल परंपरा जारी रहेगी बल्कि शिवलिंग की सुरक्षा भी बनी रहेगी।

श्रद्धालुओं की प्रतिक्रिया

नई व्यवस्था पर श्रद्धालुओं की मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिली है। कई श्रद्धालुओं का कहना है कि परंपरा का पालन होना चाहिए, वहीं अन्य का मानना है कि ज्योतिर्लिंग की सुरक्षा सर्वोपरि है। एक श्रद्धालु ने कहा – “अगर इस निर्णय से भगवान का स्वरूप सुरक्षित रहेगा तो यह कदम उचित है।