मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने गुमशुदगी मामले में याचिका खारिज कर पुलिस के समक्ष विस्तृत आवेदन देने का निर्देश दिया
ग्वालियर खंडपीठ में एक युवक द्वारा दाखिल की गई याचिका उस वक्त खारिज कर दी गई, जब कोर्ट ने पाया कि उसने संबंधित थाने में विस्तृत जानकारी के साथ दोबारा आवेदन नहीं दिया है। मामला एक रहस्यमयी गुमशुदगी से जुड़ा हुआ है, जिसमें युवक का दोस्त ट्रेन से अचानक लापता हो गया था। कार्रवाई में देरी और पुलिस की निष्क्रियता से परेशान होकर युवक ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि घटना के बाद से उसने संबंधित थाने में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन पुलिस की ओर से मामले की जांच में कोई गंभीर पहल नहीं की गई। उसने यह भी कहा कि उसके दोस्त की गुमशुदगी में आपराधिक साजिश की आशंका है, और इस पर पुलिस का ढुलमुल रवैया पीड़ित परिवार के लिए मानसिक यातना का कारण बन रहा है।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति ने पूछा कि क्या याचिकाकर्ता ने संबंधित थाना प्रभारी को पूरे घटनाक्रम की विस्तार से जानकारी देते हुए दोबारा आवेदन दिया है? इस पर याचिकाकर्ता पक्ष से संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाया। इसके बाद अदालत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जब तक पुलिस को पूरी जानकारी के साथ आवेदन नहीं दिया जाता, तब तक अदालत हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
कोर्ट की टिप्पणी: पहले पुलिस प्रक्रिया पूरी करें
न्यायालय ने कहा कि यह आवश्यक है कि नागरिक पहले पुलिस तंत्र का पूरी तरह उपयोग करें। यदि संबंधित थाना जांच नहीं करता या अनुचित व्यवहार करता है, तभी अदालत का दरवाजा खटखटाया जाना चाहिए। अदालत ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता पहले विस्तृत तथ्यों और साक्ष्यों के साथ संबंधित थाने में दोबारा आवेदन दे, ताकि पुलिस को सही दिशा में जांच करने का मौका मिले।
पुलिस पर निगरानी के संकेत
हालांकि अदालत ने यह भी संकेत दिया कि यदि अगली बार पुलिस निष्क्रियता या लापरवाही बरतती है, तो याचिकाकर्ता को न्यायालय का रुख करने का पूरा अधिकार रहेगा। यह आदेश नागरिक अधिकारों की रक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
इस मामले ने यह भी उजागर किया कि गुमशुदगी के मामलों में पीड़ित परिवारों को अक्सर पुलिस की तरफ से उचित सहयोग नहीं मिलता। कई बार प्रारंभिक जांच के अभाव में अहम सुराग हाथ से निकल जाते हैं। इस वजह से न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन अदालत ने साफ किया है कि पहले प्रशासनिक प्रक्रिया को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।