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सीहोर जिले में जल गंगा संवर्धन अभियान: जल संरक्षण में उल्लेखनीय सफलता और किसानों को स्थायी राहत

 

सीहोर जिले में चलाए गए जल गंगा संवर्धन अभियान ने जल संरक्षण के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। यह अभियान 30 मार्च से 30 जून 2025 तक चला और इसका मुख्य उद्देश्य जनभागीदारी के माध्यम से जल संरक्षण को बढ़ावा देना था। साथ ही, इस अभियान के द्वारा किसानों को खेत तालाबों के जरिए स्थायी सिंचाई के साधन उपलब्ध कराए गए हैं, जिससे उन्हें काफी राहत मिली है।

अभियान का उद्देश्य

जल गंगा संवर्धन अभियान का प्राथमिक लक्ष्य जल संकट के समाधान के लिए स्थायी जल संचयन के उपायों को बढ़ावा देना था। अभियान में ग्रामीण क्षेत्रों को शामिल करते हुए, लोगों को जल संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक किया गया। साथ ही, इस अभियान ने किसानों को उनके खेतों में सिंचाई के स्थायी साधन, जैसे कि खेत तालाब, नदी-नालों के पुनर्जीवीकरण और जल संचयन संरचनाओं के निर्माण की दिशा में मार्गदर्शन दिया।

अभियान की प्रमुख उपलब्धियां

  1. जल संरक्षण के उपायों का कार्यान्वयन: अभियान के दौरान खेत तालाबों की खुदाई और जल संचयन संरचनाओं का निर्माण किया गया, जिससे किसानों को खेती में पानी की स्थायी उपलब्धता सुनिश्चित हुई। इससे किसानों को सिंचाई की निर्भरता कम करने में मदद मिली और उन्हें कृषि कार्यों में राहत मिली।

  2. जनभागीदारी को प्रोत्साहन: अभियान में स्थानीय समुदायों की भागीदारी बढ़ाई गई, जिससे जल संरक्षण की दिशा में लोगों का सहयोग प्राप्त हुआ। ग्रामीणों को जल संचयन के बारे में जागरूक किया गया और उन्हें इस काम में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित किया गया।

  3. जल स्रोतों का पुनर्जीवीकरण: अभियान के तहत, जिले के नदी-नालों और जलाशयों का पुनर्निर्माण भी किया गया, जिससे जल स्रोतों में पानी की मात्रा बढ़ी और सूखा प्रभावित क्षेत्रों में जल संकट में कमी आई।

  4. कृषि पर प्रभाव: खेत तालाबों के निर्माण ने किसानों को कृषि में स्थिर सिंचाई के साधन प्रदान किए, जिससे उनकी उत्पादन क्षमता में सुधार हुआ। इस पहल से कृषि में पानी की बेहतर उपयोगिता हो सकी, और फसल उत्पादन में वृद्धि हुई।

भविष्य के लिए दिशा

जल गंगा संवर्धन अभियान की सफलता को देखते हुए, सीहोर जिले में जल संरक्षण के ऐसे और अभियानों को प्रोत्साहित किया जाएगा। यह अभियान एक मॉडल के रूप में कार्य करेगा, जिससे अन्य जिलों में भी जल संरक्षण के कार्यों को बढ़ावा दिया जा सके। जिले के किसानों के लिए अधिक स्थायी और किफायती सिंचाई के उपायों पर काम किया जाएगा और जल संकट के समाधान के लिए नीतिगत बदलावों की आवश्यकता पर विचार किया जाएगा।