इंदौर में हादसों का महीना, 12 लोगों ने गंवाई जान
सितंबर 2025 इंदौर के लिए त्रासदियों से भरा महीना साबित हुआ। शहर में लगातार हुए हादसों ने न केवल कई जिंदगियां छीनीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और जवाबदेही की कमी को भी उजागर कर दिया। केवल एक महीने में शहर में हुए चार बड़े हादसों ने लोगों का भरोसा हिला दिया और शहरवासियों में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी।
मासूमों की जान अस्पताल की दीवारों के भीतर चली गई, सड़क पर बेगुनाहों को कुचला गया, और कई घर ही मौत का मलबा बन गए। इस महीने में कुल 12 लोगों ने अपनी जान गंवाई, जिससे इंदौर में सुरक्षा और सावधानी के उपायों पर सवाल उठने लगे हैं।
सिटी पुलिस और प्रशासन ने हादसों के कारणों की जांच शुरू की है, लेकिन कई मामलों में प्राथमिक लापरवाही और निगरानी की कमी सामने आई है। विशेषज्ञों का कहना है कि सुरक्षा मानकों और आपातकालीन व्यवस्थाओं को लेकर गंभीर सुधार की आवश्यकता है।
स्थानीय लोग भी प्रशासनिक जवाबदेही को लेकर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि अगर नियमों का पालन और निगरानी समय पर होती, तो कई जानें बचाई जा सकती थीं। सड़क दुर्घटनाओं, अव्यवस्थित निर्माण और अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था की कमी इन हादसों के प्रमुख कारण माने जा रहे हैं।
विशेषज्ञों ने चेताया है कि शहर में आवागमन, निर्माण और स्वास्थ्य सेवाओं की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। वे कहते हैं कि केवल हादसों के बाद जांच करने की बजाय रोकथाम और निगरानी तंत्र को मजबूत करना अधिक महत्वपूर्ण है।
स्थानीय प्रशासन ने घोषणा की है कि हादसों की घटनाओं की व्यापक समीक्षा और सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे। इसके तहत सड़क सुरक्षा, अस्पतालों में आपातकालीन तैयारी और घरों तथा निर्माण स्थलों की निगरानी को सख्ती से लागू किया जाएगा।
इस महीने की घटनाओं ने शहरवासियों में सुरक्षा को लेकर भय और असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है। लोग अब अपने बच्चों और परिवार की सुरक्षा को लेकर अधिक सतर्क हो गए हैं। स्कूल, अस्पताल और सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा उपायों को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि शहर में सुरक्षा और जवाबदेही की व्यवस्था को मजबूत करना अब तत्काल आवश्यक है। इंदौर जैसे शहर में जब लगातार हादसे हों, तो प्रशासन और नागरिकों के बीच समान जिम्मेदारी और सतर्कता जरूरी है।
अंततः, सितंबर 2025 ने इंदौर के लिए एक चेतावनी का महीना साबित किया है। चार बड़े हादसों और 12 मौतों ने यह संदेश दिया कि सुरक्षा और प्रशासनिक जवाबदेही पर ध्यान न देने से कितना बड़ा नुकसान हो सकता है। अब समय है कि प्रशासन, नागरिक और विशेषज्ञ मिलकर सुरक्षा उपायों को सुदृढ़ बनाएं, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोका जा सके।