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मध्य प्रदेश में रासायनिक खाद की बढ़ती खपत, जैविक खेती पर संकट

 

राज्य में खेती का रकबा हर साल घटने के बावजूद रासायनिक खाद की खपत लगातार बढ़ती जा रही है। कृषि विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों के अनुसार, यह स्थिति किसानों के लिए चिंताजनक संकेत है। जैविक खेती के मामले में देश में पहले स्थान पर होने के बावजूद, मध्य प्रदेश के किसान अब अधिकतर रासायनिक खाद पर निर्भर हो रहे हैं, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता और फसल उत्पादन पर दीर्घकालीन नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है।

कृषि विज्ञानियों का कहना है कि रासायनिक खाद का अंधाधुंध इस्तेमाल मृदा की प्राकृतिक संरचना और पोषक तत्वों को प्रभावित कर रहा है। लगातार रासायनिक उर्वरक देने से मिट्टी की उर्वरता घटती जा रही है और इसका असर फसलों की गुणवत्ता और स्वाद पर भी पड़ता है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि इस प्रवृत्ति को नहीं रोका गया तो आने वाले वर्षों में खेती की लागत बढ़ेगी और किसानों की आय प्रभावित होगी।

वर्षों से मध्य प्रदेश जैविक खेती के लिए देश में अग्रणी राज्य रहा है। राज्य के कई जिलों में किसानों ने प्राकृतिक खाद और कंपोस्ट का इस्तेमाल करके सुरक्षित और स्वास्थ्यवर्धक फसल उगाई। लेकिन बदलते कृषि रुझानों और अधिक उत्पादन की दौड़ में किसान अब रासायनिक उर्वरक का ज्यादा उपयोग कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल तत्काल लाभ के लिए किया जा रहा कदम है, जबकि इसके दीर्घकालीन परिणाम गंभीर हो सकते हैं।

कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए जैविक खाद का इस्तेमाल अनिवार्य है। इसके अलावा, गहरे जमी पोषक तत्वों को संरक्षित करने के लिए रोटेशनल खेती और फसल विविधता जैसी तकनीकों को अपनाना जरूरी है। विशेषज्ञों का कहना है कि केवल रासायनिक खाद पर निर्भरता से मिट्टी की जीवन शक्ति खत्म होने का खतरा बढ़ता है, जिससे भविष्य में फसल उत्पादन भी घट सकता है।

किसानों का कहना है कि रासायनिक खाद तुरंत असर दिखाती है और फसल का उत्पादन बढ़ाती है, इसलिए वे इसका अधिक उपयोग कर रहे हैं। वहीं, कृषि विशेषज्ञों ने यह भी स्पष्ट किया कि रासायनिक खाद का नियंत्रित और संतुलित इस्तेमाल किया जाना चाहिए, और जैविक खाद के विकल्पों को प्रोत्साहित करना जरूरी है।

राज्य सरकार ने भी हाल ही में किसानों को जैविक खेती की ओर लौटाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इनमें जैविक खाद के वितरण, प्रशिक्षण कार्यक्रम और किसानों के लिए आर्थिक प्रोत्साहन शामिल हैं। हालांकि, अब तक इस पहल का असर सीमित क्षेत्रों तक ही पहुंच पाया है।

कृषि विशेषज्ञों ने अपील की है कि किसान केवल उत्पादन पर ध्यान न दें, बल्कि मिट्टी की लंबी अवधि की उर्वरता और पर्यावरणीय स्थिरता पर भी ध्यान दें। उनका मानना है कि संतुलित खेती और जैविक खाद के इस्तेमाल से ही कृषि का भविष्य सुरक्षित और लाभकारी बन सकता है।

इस तरह, मध्य प्रदेश में रासायनिक खाद की बढ़ती खपत और जैविक खेती पर घटती निर्भरता एक गंभीर चुनौती बन गई है। यदि इस दिशा में समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो मिट्टी की गुणवत्ता, फसल उत्पादन और किसानों की आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की पूरी संभावना है।