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देवास के चार भाइयों ने निभाया फर्ज: कांवड़ में माता-पिता को बैठाकर ले जा रहे महाकाल दर्शन के लिए उज्जैन

 

मध्य प्रदेश के देवास जिले से एक भावनात्मक और प्रेरणादायक घटना सामने आई है, जो आधुनिक दौर में संस्कार, सेवा और परिवार के महत्व को दर्शाती है। जिले के भीमसी गांव के रहने वाले चार सगे भाई अपने बूढ़े माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के दर्शन के लिए पैदल यात्रा पर निकले हैं।

आधुनिकता के बीच भारतीय संस्कारों की मिसाल

जब एक ओर समाज में बढ़ती आधुनिकता और व्यक्तिगत जीवन की व्यस्तताएं रिश्तों को कमजोर कर रही हैं, वहीं ये चार भाई अपने माता-पिता की सेवा और धार्मिक आस्था को प्राथमिकता देकर भारतीय संस्कृति की जीवंत मिसाल बन गए हैं।

चारों भाइयों का कहना है कि—

“हमने संकल्प लिया है कि अपने माता-पिता को खुद अपने कंधों पर बैठाकर महाकाल के दर्शन कराएंगे। यह हमारे जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य है।”

कैसे कर रहे हैं यात्रा?

इन भाइयों ने लकड़ी की एक विशेष कांवड़ तैयार की है, जिसमें माता-पिता को आराम से बैठाया गया है। दो भाई आगे और दो पीछे कांवड़ को उठाकर दर्जनों किलोमीटर पैदल यात्रा कर रहे हैं।

यात्रा के दौरान भक्ति गीतों, हर-हर महादेव के जयघोष और राहगीरों की सराहना से वातावरण भक्ति और भावनाओं से भर जाता है।

लोगों की आंखें नम, दिल भावुक

यह दृश्य देखने वालों की आंखें नम हो रही हैं। राह चलते लोग इन भाइयों को प्रणाम करते हैं, उनके माता-पिता को आशीर्वाद देते हैं, और इस पहल को आधुनिक समाज के लिए एक उदाहरण बता रहे हैं।

स्थानीय श्रद्धालु राजेश पटेल ने कहा—

“आजकल जहां लोग मां-बाप को बोझ समझने लगे हैं, वहां इन चार बेटों ने उन्हें सिर पर बैठाकर मंदिर ले जाकर समाज को आईना दिखा दिया है।”