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फर्जी कार्डियोलाजिस्ट की सर्जरी से सात रोगियों की मौत, NHRC ने दिए देशभर के कैथ लैब डॉक्टरों के सत्यापन के आदेश

 

मध्य प्रदेश के दमोह जिले के मिशन अस्पताल में एक फर्जी कार्डियोलाजिस्ट द्वारा की गई सर्जरी के कारण सात रोगियों की मौत के बाद राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) ने देशभर के कैथ लैब में काम करने वाले डॉक्टरों के सत्यापन का आदेश दिया है। इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है, और अब इस मामले में कठोर कदम उठाने की तैयारी की जा रही है।

🔴 कैसे हुई घटना?

दमोह के मिशन अस्पताल में एक फर्जी कार्डियोलाजिस्ट को सर्जरी करने का जिम्मा सौंपा गया था। हालांकि, बाद में यह पता चला कि डॉक्टर का कोई उचित चिकित्सा प्रमाणपत्र नहीं था, और न ही उसके पास कार्डियोलाजी में प्रशिक्षण या विशेषज्ञता थी। इस फर्जी डॉक्टर ने सर्जरी करने के दौरान गंभीर लापरवाही बरती, जिसके परिणामस्वरूप सात मरीजों की जान चली गई। इन मृतकों में कुछ वृद्ध मरीज थे, जो दिल की गंभीर समस्याओं से जूझ रहे थे।

🏥 मिशन अस्पताल की भूमिका

मिशन अस्पताल, जो कि एक प्रतिष्ठित स्वास्थ्य संस्था मानी जाती है, को इस घातक घटना के बाद गंभीर सवालों का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल प्रशासन की लापरवाही और सुरक्षा उपायों में कमी के चलते यह घटना घटित हुई। अस्पताल में काम करने वाले डॉक्टरों का सत्यापन न होने के कारण, इस फर्जी डॉक्टर को काम करने का अवसर मिला।

🕵️‍♂️ राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) का हस्तक्षेप

NHRC ने इस गंभीर मामले को संज्ञान में लेते हुए, देशभर के कैथ लैब में काम करने वाले सभी डॉक्टरों का सत्यापन कराने के आदेश दिए हैं। आयोग ने यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि सभी डॉक्टरों के पास सही प्रमाणपत्र और उचित विशेषज्ञता हो, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।

NHRC के एक अधिकारी ने कहा:

"यह घटना पूरी स्वास्थ्य प्रणाली के लिए एक बड़ा झटका है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी मेडिकल पेशेवरों का सत्यापन किया जाए ताकि इस तरह की घटनाएं भविष्य में न हों।"

⚖️ अस्पताल पर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू

मामले के सामने आने के बाद, स्वास्थ्य विभाग ने मिशन अस्पताल के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। फर्जी डॉक्टर और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है। अस्पताल प्रशासन से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा गया है, और जांच की जा रही है कि फर्जी डॉक्टर को किस आधार पर नौकरी दी गई थी।