जबलपुर में आदिवासी कल्याण विभाग के डिप्टी कमिश्नर पर EOW का शिकंजा, 5.90 करोड़ की आय से अधिक संपत्ति का खुलासा
मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही मुहिम के तहत आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने जबलपुर में एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। यह कार्रवाई आदिम जाति कल्याण विभाग के डिप्टी कमिश्नर जगदीश सर्वटे के खिलाफ की गई, जिन पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। ईओडब्ल्यू की 50 से अधिक सदस्यीय टीम ने बुधवार को जबलपुर, भोपाल और सागर में एक साथ दबिश दी।
सूत्रों के मुताबिक, छापेमारी के दौरान करीब 5 करोड़ 90 लाख रुपए की अनुपातहीन संपत्ति (Disproportionate Assets) का पता चला है, जो जगदीश सर्वटे की आय से कहीं अधिक है। EOW को शिकायत मिली थी कि सर्वटे ने अपने पद का दुरुपयोग कर अपार संपत्ति इकट्ठा की है, जिसके बाद जांच शुरू की गई और सबूतों के आधार पर यह बड़ी कार्रवाई की गई।
ईओडब्ल्यू ने सर्वटे के जबलपुर स्थित सरकारी आवास, उनके मूल निवास और अन्य संभावित ठिकानों की गहन तलाशी ली। इसी दौरान उनके भोपाल और सागर स्थित संपत्तियों पर भी जांच टीम पहुंची। छापेमारी के दौरान दस्तावेज, बैंक खातों का ब्यौरा, निवेश से जुड़ी फाइलें और कई अहम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ जब्त की गईं हैं।
जांच अधिकारियों का कहना है कि जगदीश सर्वटे के पास उपलब्ध संपत्ति और उनकी सरकारी आय में स्पष्ट अंतर है। अभी तक की जांच में सामने आया है कि उनके नाम पर लग्जरी गाड़ियां, महंगे फ्लैट, जमीन-जायदाद, और कई बैंक खातों में बड़ी रकम जमा पाई गई है। साथ ही, उन्होंने कुछ संपत्तियां अपने परिजनों और रिश्तेदारों के नाम पर भी खरीदी हैं।
ईओडब्ल्यू के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आय से अधिक संपत्ति के इस मामले में अब दस्तावेज़ों की सत्यता की जांच की जा रही है। यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आगे की कार्रवाई की जाएगी और आरोपी को निलंबित करने की संस्तुति भी की जा सकती है।
यह मामला प्रदेश के प्रशासनिक ढांचे में व्याप्त भ्रष्टाचार की गंभीरता को उजागर करता है। गौरतलब है कि राज्य सरकार पहले ही भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने का दावा कर चुकी है और अब इस तरह की कार्रवाइयों से जनता में यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि सरकार भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ सख्त रुख अपनाए हुए है।