सावन के पहले सोमवार को तिलकसिंदुर शिवालय में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, पौराणिक मान्यताओं से जुड़ा है यह प्राचीन शिवधाम
सावन मास का पहला सोमवार, भगवान शिव की भक्ति में लीन हजारों श्रद्धालुओं के लिए आस्था और उत्साह का प्रतीक बन गया। नर्मदापुरम जिले के सतपुड़ा की दुर्गम पहाड़ियों में स्थित प्रसिद्ध तिलकसिंदुर शिवालय में आज भारी संख्या में भक्तों ने पहुंचकर जलाभिषेक और पूजन अर्चना की। सुबह से ही मंदिर परिसर और रास्तों पर श्रद्धालुओं की लंबी कतारें नजर आईं।
यह प्राचीन शिवधाम न केवल धार्मिक रूप से, बल्कि ऐतिहासिक और पौराणिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि यहां स्वयं भगवान शिव ने भस्मासुर के प्रकोप से बचने के लिए लिंग रूप धारण कर सिंदूर का लेपन किया था, जिसके कारण यह स्थान "तिलकसिंदुर" नाम से प्रसिद्ध हुआ। इसी मान्यता के चलते यहां सिंदूर चढ़ाने की परंपरा आज भी जीवित है। सावन में विशेष रूप से भक्त बड़ी श्रद्धा से शिवलिंग पर सिंदूर अर्पित करते हैं।
श्रद्धालुओं ने बताया कि तिलकसिंदुर की चढ़ाई कठिन जरूर है, लेकिन शिवभक्ति में डूबे लोगों के लिए यह राह आसान बन जाती है। कई श्रद्धालु सुबह चार बजे से ही मंदिर की ओर कूच कर गए थे। मंदिर समिति और प्रशासन द्वारा पानी, प्रसाद, स्वास्थ्य शिविर और सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए थे, ताकि श्रद्धालुओं को किसी तरह की असुविधा न हो।
क्या है पौराणिक कथा?
मान्यता के अनुसार, जब भस्मासुर को वरदान मिला कि वह जिसके सिर पर हाथ रखेगा, वह भस्म हो जाएगा, तब उसने स्वयं भगवान शिव को ही लक्ष्य बना लिया। भगवान शिव भस्मासुर से बचने के लिए अनेक स्थानों पर छिपे, और अंततः इसी स्थान पर आकर उन्होंने लिंग रूप में अवतार लेकर स्वयं पर सिंदूर का लेप किया, जिससे उनकी पहचान छिप गई और भस्मासुर भ्रमित हो गया। इसी से प्रेरित होकर यहां शिवलिंग पर सिंदूर चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है।
प्रशासन ने किया विशेष प्रबंध
श्रावण मास की भीड़ को देखते हुए स्थानीय प्रशासन और पुलिस विभाग ने विशेष व्यवस्थाएं की थीं। भीड़ प्रबंधन के लिए अलग-अलग मार्ग निर्धारित किए गए थे, और हेल्प डेस्क व प्राथमिक चिकित्सा केंद्र भी सक्रिय रूप से कार्यरत रहे।
श्रद्धालुओं में भारी उत्साह देखा गया, विशेष रूप से युवाओं और महिलाओं की भागीदारी उल्लेखनीय रही। भक्तों ने डमरू, ढोल और हर-हर महादेव के जयकारों के साथ मंदिर परिसर को शिवमय बना दिया।
इस अवसर पर मंदिर समिति के प्रमुख पुजारियों द्वारा विशेष रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप और अन्नदान का आयोजन भी किया गया, जिसमें हजारों लोगों ने भाग लिया।
सावन मास की शुरुआत के साथ ही यह स्पष्ट हो गया है कि तिलकसिंदुर शिवालय नर्मदापुरम ही नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में एक प्रमुख केंद्र बना हुआ है।
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