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विद्युत कंपनियों के कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए ऊर्जा विभाग ने शुरू की अंशदायी कैशलेस स्वास्थ्य योजना

 

मध्य प्रदेश सरकार ने अपने ऊर्जा विभाग के तहत कार्यरत सभी छह विद्युत कंपनियों के कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए एक बड़ी राहत की घोषणा की है। अब लगभग 1.82 लाख नियमित व संविदा कार्मिकों, पेंशनर्स और उनके आश्रित स्वजनों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ कैशलेस और अंशदायी योजना के तहत मिलेगा। यह योजना राज्य के ऊर्जा विभाग द्वारा लागू की गई है, जिससे हजारों परिवारों को चिकित्सा के क्षेत्र में आर्थिक सुरक्षा मिलेगी।

किन्हें मिलेगा योजना का लाभ?

इस योजना का लाभ मध्य प्रदेश की छह विद्युत कंपनियों के अंतर्गत आने वाले—

  • नियमित कर्मचारी,

  • संविदा कर्मचारी,

  • पेंशनर्स,

  • तथा उनके आश्रित परिजनों को मिलेगा।

यह योजना कर्मचारियों की बीमारी, दुर्घटना या आपातकालीन स्थिति में इलाज के खर्च को कैशलेस रूप में कवर करेगी, जिससे इलाज में समय पर सुविधा मिल सके और आर्थिक बोझ भी कम हो।

कैसे होगा योजना का क्रियान्वयन?

ऊर्जा विभाग ने योजना के सुचारु क्रियान्वयन के लिए ई-टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके तहत क्रियान्वयन एजेंसी का चयन किया जाएगा जो स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के साथ समन्वय बनाकर इस योजना को ज़मीन पर उतारेगी।
24 जुलाई को प्री-बिड मीटिंग आयोजित की जाएगी, जिसमें इच्छुक एजेंसियां योजना के तकनीकी और व्यावसायिक पहलुओं पर चर्चा करेंगी।

अंशदायी प्रणाली क्या है?

यह योजना अंशदायी होगी, यानी इसमें कर्मचारी व पेंशनर को एक निश्चित राशि योजना में योगदान देना होगा, जबकि शेष राशि ऊर्जा विभाग द्वारा वहन की जाएगी। इस राशि के बदले उन्हें कैशलेस इलाज की सुविधा निजी और सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध कराई जाएगी।
योजना के तहत विभिन्न बीमारियों, सर्जरी, जांच, अस्पताल में भर्ती जैसे प्रमुख चिकित्सा खर्च कवर किए जाएंगे।

क्यों खास है यह योजना?

  • सरकारी और संविदा दोनों कर्मचारियों को कवर करती है।

  • पेंशनरों और उनके आश्रितों को भी शामिल किया गया है, जो अक्सर योजनाओं से बाहर रह जाते हैं।

  • कैशलेस सुविधा से आपात स्थिति में त्वरित इलाज संभव होगा।

  • यह योजना निजी क्षेत्र की तर्ज पर सार्वजनिक कर्मचारियों के लिए एक सशक्त सामाजिक सुरक्षा कवच साबित हो सकती है।

आगे की प्रक्रिया

ऊर्जा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद योजना का पायलट रोलआउट अगस्त-सितंबर तक किया जा सकता है। योजना की सफलता पर इसे अन्य विभागों तक भी विस्तार दिया जा सकता है।