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साइबर ठगी से लुटी जिंदगी की जमा पूंजी, अब अपनों की जिल्लत ने बढ़ाया दर्द

 

तकनीक के इस दौर में जहां डिजिटलीकरण ने जिंदगी को आसान बनाया है, वहीं साइबर अपराधों की काली दुनिया ने न जाने कितने परिवारों की पूरी कमाई छीन ली है। कई लोग ऐसे हैं जो साइबर ठगों के जाल में फंसकर अपने जीवनभर की गाढ़ी कमाई गंवा बैठे। पर असली पीड़ा सिर्फ धन की नहीं, अपनों की जिल्लत और ताने आज इन पीड़ितों को मानसिक रूप से तोड़ रहे हैं

💔 एक क्लिक में उजड़ गया सपना

किसी ने बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसे बचा रखे थे, किसी ने बेटी की शादी के लिए; लेकिन एक कॉल, एक लिंक, एक भरोसे ने पूरे परिवार की आर्थिक नींव हिला दी। ठगों ने खाते से लाखों रुपये साफ कर दिए और पीछे छोड़ गए खाली बैंक बैलेंस और भरा मन

“जो पैसे जीवनभर की मेहनत से जोड़े थे, वो मिनटों में उड़ गए। बैंक गया, पुलिस गया, लेकिन अब तक कोई मदद नहीं मिली,” — एक पीड़ित का बयान।

😔 अब अपनों से ही मिल रही तिरस्कार

सबसे दर्दनाक बात यह है कि जब ठगी के शिकार लोग मदद की उम्मीद करते हैं, तो अपने ही उन्हें ताना मारते हैं

“इतने पढ़े-लिखे होकर भी धोखा खा गए?”, “कुछ तो किया होगा तुमने!” — इस तरह की बातें अब घावों पर नमक छिड़कने का काम कर रही हैं

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की सामाजिक उपेक्षा और अपमान पीड़ितों को डिप्रेशन और आत्मग्लानि की ओर धकेल सकते हैं।

📉 पैसा गया, सम्मान भी डगमगाया

साइबर ठगी का शिकार होना अब केवल आर्थिक नुकसान नहीं रहा, यह सम्मान और मानसिक संतुलन पर भी सीधा हमला है।

“लोग हमें बेवकूफ समझते हैं, पर उन्हें क्या पता कि ये ठग कितने चालाक होते हैं,” — एक बुजुर्ग पीड़ित की आंखों में आंसू थे।

🛡️ क्या कहता है सिस्टम?

पुलिस और साइबर सेल ने कई मामलों में कार्रवाई की है, लेकिन हर केस में पैसा वापस मिलना मुश्किल है।

“हम प्रयास करते हैं, लेकिन कई बार पैसा विदेशों में ट्रांसफर हो चुका होता है या ठग फर्जी दस्तावेजों से अकाउंट खोलते हैं,” — साइबर सेल अधिकारी।