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भिंड में यादव परिवार का बहिष्कार, तेरहवीं भोज में ब्राह्मणों को बुलाना पड़ा भारी, इटावा की घटना से जुड़ा विवाद

 

जिले के एक यादव परिवार को अपनी तेरहवीं में ब्राह्मणों को आमंत्रित करना महंगा पड़ गया। समुदाय के लोगों ने उस परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर दिया है। यह घटना उत्तर प्रदेश के इटावा में हुई एक कथावाचक से मारपीट की घटना के बाद की प्रतिक्रिया मानी जा रही है।

क्या है मामला?

जानकारी के अनुसार, भिंड जिले के एक यादव परिवार ने हाल ही में एक तेरहवीं भोज का आयोजन किया था, जिसमें परंपरा के अनुसार ब्राह्मणों को आमंत्रित किया गया। लेकिन इसके तुरंत बाद ही स्थानीय यादव समाज के कुछ लोगों ने विरोध दर्ज कराते हुए परिवार का बहिष्कार कर दिया

इटावा की घटना से जुड़ा विवाद

दरअसल, हाल ही में उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में एक यादव कथावाचक को कथित तौर पर इसलिए पीटा गया क्योंकि वह ब्राह्मण नहीं था, फिर भी भागवत कथा कर रहा था। जब यह मामला सामने आया तो यादव समुदाय में आक्रोश फैल गया।

भिंड में बहिष्कृत किए गए परिवार के लोगों का कहना है कि उन्होंने परंपरा के अनुसार भोज में ब्राह्मणों को बुलाया था, इसमें कोई राजनीतिक या जातीय मंशा नहीं थी। वहीं, समाज के कुछ कट्टरपंथी तत्वों ने इसे इटावा की घटना के विरोध में लिया गया निर्णय बताते हुए भोज के आयोजन को ‘विश्वासघात’ करार दिया।

प्रशासन की चुप्पी

मामले को लेकर स्थानीय प्रशासन अब तक चुप्पी साधे हुए है। न तो किसी संगठन ने खुलकर बयान दिया है और न ही पुलिस ने इसमें कोई केस दर्ज किया है। हालांकि, सामाजिक बहिष्कार जैसी घटनाओं को संविधान विरुद्ध माना जाता है।

क्या बोले सामाजिक कार्यकर्ता?

इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह घटना न केवल संविधान की भावना के विरुद्ध है, बल्कि जातिगत संकीर्णता को भी बढ़ावा देती है। हर किसी को अपनी धार्मिक और सामाजिक परंपरा निभाने की स्वतंत्रता है।