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दमोह जिले में शिक्षकों की भर्ती में बड़ा गड़बड़झाला, पुलिस और प्रशासन पर दबाने का आरोप

 

दमोह जिले में शिक्षकों की भर्ती में सामने आए बड़े गड़बड़झाले का मामला अब गहरे विवाद में घिरता जा रहा है। आरोप है कि इस घोटाले में शामिल 24 शिक्षकों के खिलाफ दो महीने से एफआईआर दर्ज नहीं हो पाई है, और पुलिस एवं प्रशासन इस मामले को दबाने की कोशिश में लगे हैं। हालांकि प्रशासनिक अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से लिया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

घोटाले की परतें खुलने के बाद भी कार्रवाई का टलना

दमोह जिले में शिक्षकों की भर्ती में धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप सामने आने के बाद इसे लेकर प्रशासन और पुलिस के बीच कई पत्र-व्यवहार हुए हैं। कलेक्टर ने इस मामले को एसपी तक पहुंचाया, और एसपी ने डीआईओ (डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर) को पत्र लिखा, लेकिन मामला वहीं का वहीं पड़ा रहा। इसके बाद डीईओ ने बीईओ (ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर) को पत्र भेजा, लेकिन एफआईआर दर्ज करने में कोई प्रगति नहीं हुई है। प्रशासन की इस लापरवाही और रुकावट के कारण इस मामले में कार्रवाई अब तक ठंडे बस्ते में चली गई है।

घोटाले के खुलासे के बाद से स्थिति और पेचीदा

इस घोटाले का खुलासा होने के बाद से मामले की जांच की मांग तेज हो गई है, लेकिन प्रशासन और पुलिस की सुस्ती ने स्थिति को और पेचीदा बना दिया है। 24 शिक्षक जिनके खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप हैं, वे अब तक छूटे हुए हैं, जबकि मामले में फंसे हुए कुछ लोग पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं।

क्या हो रहा है प्रशासन में?

मामले को लेकर शहर और जिले के नागरिकों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि आखिरकार एफआईआर दर्ज करने में इतना वक्त क्यों लग रहा है और क्यों अधिकारियों के बीच इस मुद्दे को हल्के में लिया जा रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है, लेकिन जब तक सबूत साफ नहीं होते, कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा सकती।

नागरिकों और समाज के दबाव में कार्रवाई की उम्मीद

अब इस पूरे मामले में नागरिकों और समाज का दबाव बढ़ता जा रहा है, खासकर तब जब यह मामला एक बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का प्रतीक बन चुका है। समाज और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि यदि जल्द ही इस मामले पर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह संदेश जाएगा कि प्रशासन में भ्रष्टाचार और लापरवाही को पनाह मिल रही है।

अंततः क्या होगा?

दूसरी ओर, पुलिस और प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, और इस मामले की जांच पर अब तक कोई अपडेट भी नहीं आया है। किसी समय में 24 शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया को लेकर कड़े कदम उठाए जाएंगे या नहीं, यह अब देखना होगा।

इस पूरे घटनाक्रम से यह साफ है कि दमोह जिले में भ्रष्टाचार और गड़बड़झाले के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो और नागरिकों का प्रशासन और पुलिस पर विश्वास बना रहे।