बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में रेस्क्यू किए गए जंगली हाथी की मौत, शहडोल में एक व्यक्ति की जान ले चुका था हाथी
मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के रामा कैंप में रखे गए एक जंगली हाथी की मंगलवार सुबह मौत हो गई। लगभग 20 वर्षीय इस नर हाथी को वन विभाग ने 21 मई को संजय टाइगर रिजर्व की सीमा से रेस्क्यू कर बांधवगढ़ लाया था। यह हाथी अपने आक्रामक व्यवहार के चलते वन विभाग और ग्रामीणों के लिए बड़ी चुनौती बन गया था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह हाथी शहडोल जिले में एक ग्रामीण की मौत का कारण भी बन चुका था। मानव-वन्यजीव संघर्ष की गंभीर स्थिति को देखते हुए वन विभाग ने इस हाथी को पकड़कर नियंत्रित वातावरण में रखने का फैसला लिया था। इसके बाद विशेष दल द्वारा उसे रेस्क्यू कर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के रामा कैंप में स्थानांतरित किया गया था।
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, हाथी के स्वास्थ्य की नियमित निगरानी की जा रही थी। उसे सामान्य रखने के प्रयास भी किए जा रहे थे, लेकिन मंगलवार सुबह अचानक उसकी तबीयत बिगड़ी और कुछ ही समय में उसने दम तोड़ दिया। वन विभाग ने पोस्टमार्टम के आदेश दे दिए हैं, जिससे उसकी मौत के सही कारणों का पता लगाया जा सके।
हाथी की मौत से वन विभाग और वन्यजीव प्रेमियों में शोक की लहर है। अधिकारियों का कहना है कि जंगली हाथियों को इंसानों के बीच से निकालकर सुरक्षित स्थान पर रखना एक बेहद चुनौतीपूर्ण काम होता है, खासकर तब जब वह पहले से आक्रामक प्रवृत्ति के हों।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ी हैं, जिसमें हाथियों की भूमिका अहम रही है। संजय टाइगर रिजर्व और उससे लगे इलाकों में झारखंड और छत्तीसगढ़ से हाथियों के आने-जाने की घटनाएं आम हो गई हैं। कई बार यह हाथी खेतों में नुकसान पहुंचाते हैं या ग्रामीणों पर हमला कर देते हैं।
वन विभाग का मानना है कि इस तरह के हाथियों को नियंत्रित करने और सुरक्षित स्थानों पर रखने के लिए दीर्घकालिक रणनीति की जरूरत है। साथ ही, ग्रामीण इलाकों में जनजागरूकता अभियान भी चलाने की जरूरत है, ताकि लोग हाथियों से बचाव के तरीके समझ सकें और ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
हाथी की मौत की जांच रिपोर्ट आने के बाद वन विभाग इस मामले में आगे की कार्रवाई करेगा। वहीं, इस घटना ने मानव और वन्यजीवों के बीच संतुलन बनाए रखने की चुनौती को एक बार फिर से उजागर कर दिया है।