13 साल के बच्चे की खौफनाक मर्डर मिस्ट्री! सुनसान सड़क पर मिली अधजली लाश, फिरौती की गुत्थी में उलझी पुलिस
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में रात के अंधेरे में एक सुनसान सड़क पर एक अधजला शव पड़ा था और कुछ पुलिसकर्मी मोबाइल की रोशनी में उसकी जाँच कर रहे थे। इस खौफनाक मंजर के पीछे एक ऐसी रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानी छिपी है, जिस पर बेंगलुरु के लोगों के लिए यकीन करना मुश्किल है। यह कहानी आपको हैरान कर सकती है।
क्या आप यकीन करेंगे कि जिस शख्स को सुनसान सड़क पर ज़िंदा जलाकर दर्दनाक मौत दी गई, वह महज़ एक 13 साल का बच्चा था? जिसकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी.. तो फिर सवाल उठता है कि आखिर यह घटना क्यों हुई? और एक मासूम की इस मर्डर मिस्ट्री का राज क्या है? तो आइए इस सवाल का जवाब शुरू से और सिलसिलेवार तरीके से देते हैं।
बेंगलुरु के अराकेरे इलाके में वैश्य बैंक कॉलोनी के शांतिनिकेतन ब्लॉक में रहने वाला आठवीं कक्षा का छात्र निश्चय ए. हर दिन की तरह बुधवार, 30 जुलाई को शाम करीब 5:30 बजे अपने घर से ट्यूशन के लिए गया था। वह सुबह साढ़े सात बजे तक लौट आता था, लेकिन 30 जुलाई को जब वह रात आठ बजे तक नहीं लौटा, तो परिवार ने उसकी तलाश शुरू की।
ट्यूशन टीचर ने बताया कि वह ट्यूशन से तय समय पर घर के लिए निकला था। ऐसे में परिवार की चिंता और बढ़ गई। परिवार ने तुरंत इस संबंध में हुलिमावु पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने मामले की जाँच शुरू की। इसी दौरान रास्ते में फैमिली पार्क के पास बच्चे की साइकिल लावारिस पड़ी मिली।
इसके बाद पुलिस ने ट्यूशन से घर वापस आते रास्ते के सीसीटीवी फुटेज चेक किए, तो बच्चा एक बाइक सवार के साथ जाता हुआ दिखाई दिया। यह बाइक सवार कौन था, यह स्पष्ट नहीं हो सका। लेकिन रात एक बजे इस कहानी में बड़ा मोड़ तब आया, जब बच्चे के परिवार को एक अनजान नंबर से फिरौती का फोन आया। फोन करने वाले ने बच्चे की सकुशल रिहाई के लिए 5 लाख रुपये की माँग की।
परिवार ने पैसों का इंतजाम करने का वादा किया और फोन करने वाले ने यह कहकर फोन काट दिया कि वह दोबारा फोन करके पैसे पहुँचाने की जगह बताएगा। लेकिन अगली सुबह अपहरणकर्ता पाँच लाख रुपये की सुपुर्दगी के लिए निश्चित के परिवार को इधर-उधर भटकने पर मजबूर करते रहे। परिवार की कोशिशें जारी रहीं, लेकिन इसी बीच अपहरणकर्ताओं का फ़ोन अचानक बंद हो गया।
लेकिन, इस मामले को सबसे बड़ा झटका तब लगा जब गुरुवार, 31 जुलाई को शाम लगभग 5:30 बजे बच्चे का शव बरामद हुआ। निश्चित का शव बन्नेरघट्टा-गोट्टिगेरे रोड पर एक सुनसान जगह पर अधजली हालत में पड़ा था। इस तरह बच्चे की दर्दनाक हत्या के साथ इस अपहरण की कहानी का एक अध्याय बंद हो गया, लेकिन अब पुलिस बच्चे के हत्यारों की तलाश में जुट गई थी।
गुरुवार रात लगभग 1 बजे पुलिस को हत्यारों के बारे में एक ख़ुफ़िया जानकारी मिली। हत्यारे कागलीपुरा इलाके में छिपे हुए थे। पुलिस ने उन्हें पकड़ने के लिए घेराबंदी की, लेकिन अपराधियों ने आत्मसमर्पण करने के बजाय, पुलिसकर्मियों पर खंजर से वार करने की कोशिश की। तभी पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में दोनों अपराधियों को गोली मार दी।
गुरुमूर्ति और गोपीकृष्ण नाम के दो अपराधियों के पैरों में गोली लगी और पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन जब अपराधियों की पहचान उजागर हुई, तो कहानी का एक और दुखद पहलू भी सामने आया। इनमें से एक गुरुमूर्ति बच्चे के घर पर कभी-कभार ड्राइवर का काम करता था और उसे बच्चे के परिवार के बारे में जानकारी थी। यानी परिवार के एक परिचित ने ही उसके परिवार से परिवार का चिराग छीन लिया।
इस बीच, पुलिस जाँच में पता चला कि हत्या का आरोपी ड्राइवर गुरुमूर्ति बच्चे की माँ को लगभग आठ महीने से जानता था। उसकी माँ सविता ने एक बार ड्राइव यू ऐप से एक कैब बुक की थी, जिसे गुरुमूर्ति चला रहा था। इस दौरान गुरुमूर्ति ने बच्चे की माँ से कहा था कि अगर उन्हें कभी कैब बुक करनी हो या ड्राइवर की ज़रूरत हो, तो वे सीधे उससे संपर्क कर सकती हैं।
इसके बाद, वह कई बार ड्राइवर बनकर उनके घर गया और बच्चे से दोस्ती कर ली। अपहरण वाले दिन उसने बच्चे को पानीपूरी का लालच देकर उसका अपहरण कर लिया।इस पूरे मामले में एक और चौंकाने वाली बात यह है कि बच्चे का अपहरण सिर्फ़ 5 लाख रुपये के लिए किया गया था। ऐसे में पुलिस फिलहाल इस मामले के मकसद को लेकर संशय में है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या इस बच्चे की हत्या सिर्फ़ 5 लाख रुपये की फिरौती के लिए की गई या इसके पीछे कोई और साज़िश है?