रेप केस में पूर्व JDS सांसद प्रज्वल रेवन्ना को अदालत ने माना दोषी, सजा सुनते ही कोर्ट में फूट-फूटकर रोए नेताजी
हासन के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना को बलात्कार के मामले में अदालत ने दोषी ठहराया है। अदालत कल यानी 2 अगस्त को सजा का ऐलान करेगी। अदालत का फैसला सुनते ही रेवन्ना अदालत में भावुक हो गए और फूट-फूट कर रोने लगे। यह फैसला बेंगलुरु में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए गठित विशेष अदालत ने सुनाया है। बलात्कार के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद प्रज्वल रेवन्ना अदालत में भावुक हो गए और फूट-फूट कर रोने लगे। फैसला सुनने के बाद अदालत से बाहर आते हुए भी वह रोते रहे। यह फैसला एफआईआर दर्ज होने के महज 14 महीने बाद सुनाया गया है।
साड़ी को सबूत के तौर पर पेश किया गया
प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ दर्ज बलात्कार के मामले में साड़ी को अहम सबूत के तौर पर अदालत में पेश किया गया। आरोप है कि पूर्व सांसद ने घरेलू सहायिका के साथ एक बार नहीं, बल्कि दो बार बलात्कार किया। पीड़िता ने घटना का वीडियो भी रिकॉर्ड किया और वह साड़ी भी उसके पास थी, जिसे उसने सबूत के तौर पर रखा। जांच के दौरान उस साड़ी पर वीर्य के निशान पाए गए, जिससे मामला और भी मजबूत हो गया। इस साड़ी को अदालत में निर्णायक सबूत के तौर पर पेश किया गया।प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और आईटी अधिनियम की कई धाराओं के तहत आरोप तय किए गए हैं। अदालत अब कल सजा का ऐलान करेगी।
जांच दल ने 123 साक्ष्य एकत्र किए
मैसूर के केआर नगर निवासी एक घरेलू सहायिका की शिकायत पर प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ सीआईडी साइबर अपराध पुलिस स्टेशन में बलात्कार का मामला दर्ज किया गया था। आरोप है कि पूर्व सांसद ने पीड़िता के साथ बलात्कार किया और उसका वीडियो भी बनाया। मामले की जाँच सीआईडी के विशेष जाँच दल (एसआईटी) ने की, जिसने लगभग 2,000 पृष्ठों का आरोप पत्र दायर किया। जाँच के दौरान, दल ने कुल 123 साक्ष्य एकत्र किए।
सात महीने में मुकदमा पूरा हुआ
जांच का नेतृत्व सीआईडी इंस्पेक्टर शोभा और उनकी टीम ने किया। इस मामले की सुनवाई 31 दिसंबर 2024 को शुरू हुई, जिसमें अदालत ने 23 गवाहों की गवाही दर्ज की। इसके अलावा, अदालत ने वीडियो क्लिप की फोरेंसिक रिपोर्ट और अपराध स्थल की निरीक्षण रिपोर्ट की भी समीक्षा की। मुकदमा महज सात महीने में पूरा हो गया और दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश संतोष गजानन भट्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।