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धर्मस्थला सीरियल किलिंग केस में सनसनीखेज खुलासा, साइट नंबर 6 से बरामद हुई इंसानी हड्डियों ने खोले खौफनाक राज

 

धर्मस्थल की धरती से आखिरकार मानव कंकाल निकल आए। दो दिन और पाँच जगहों पर असफलता के बाद, तीसरे दिन जब साइट नंबर 6 पर खुदाई की गई, तो वहाँ मानव कंकाल के अवशेष मिले। फोरेंसिक टीम ने उन हड्डियों को अपने कब्जे में ले लिया। फ़िलहाल, पहले चरण में कुल 13 जगहों पर खुदाई का काम किया गया। इस मामले के शिकायतकर्ता और नकाबपोश पूर्व सफाई कर्मचारी के अनुसार, इनमें से एक जगह ऐसी है जहाँ सबसे ज़्यादा शव दफ़नाए गए हैं। यह मामला और दावा अब गंभीर होता जा रहा है।

29 जुलाई 2025, धर्मस्थल
खुदाई का पहला दिन। मंगलवार 29 जुलाई को धर्मस्थल में नेत्रवती नदी के किनारे एक जगह पर पहली खुदाई शुरू हो रही है। पहली खुदाई स्थल संख्या 1 पर एक नकाबपोश सफाई कर्मचारी के निर्देश पर शुरू हुई थी, जिसने दावा किया था कि उसने 1995 से 2014 के बीच धर्मस्थल के आसपास 5 से 6 किलोमीटर के दायरे में सैकड़ों शवों को अपने हाथों से दफनाया है। इस सफाई कर्मचारी के बयान के बाद, एसआईटी ने पहली किस्त में कुल 13 ऐसे स्थानों की पहचान की थी। लेकिन खुदाई के पहले दिन, 29 जुलाई को, लगभग 6 घंटे की कड़ी मेहनत और 15 फीट गहरा गड्ढा खोदने के बावजूद, कोई शव, कंकाल या मानव हड्डियाँ नहीं मिलीं।

30 जुलाई, 2025, धर्मस्थल

खुदाई का दूसरा दिन। पहले दिन की असफलता के बाद, एसआईटी ने दूसरे दिन स्थल संख्या 2, 3, 4 और 5 की खुदाई शुरू की। 12 से 15 फीट गहरे गड्ढे खोदे गए। लेकिन दूसरा दिन भी असफल रहा। एसआईटी को कोई शव, कंकाल या मानव हड्डियाँ नहीं मिलीं। हालाँकि, साइट नंबर 2 से खुदाई के दौरान ढाई फीट की गहराई पर एक फटा हुआ लाल ब्लाउज, एक पैन कार्ड और एक एटीएम कार्ड मिला। इनमें से एक कार्ड पुरुष का था, जबकि दूसरा लक्ष्मी नाम की महिला का। धर्मस्थल के पास रहने वाली लक्ष्मी नाम की महिला की 2009 में मृत्यु हो गई थी। लेकिन पुलिस रिकॉर्ड में उसका कहीं कोई ज़िक्र नहीं है। क्या यह वही लक्ष्मी थी? फ़िलहाल, यह आगे की जाँच के बाद ही पता चलेगा। साइट नंबर 2 के अलावा, 3, 4 और 5 से कुछ नहीं मिला।

31 जुलाई 2025, धर्मस्थल
खुदाई का तीसरा दिन। दो दिन बीत चुके थे। सफाई कर्मचारी द्वारा बताए गए पहले पाँच स्थानों पर खुदाई के बावजूद, वहाँ किसी शव के दबे होने का कोई प्रमाण नहीं मिला था। गुरुवार, 31 जुलाई की सुबह, एसआईटी टीम फिर से नेत्रवती नदी के किनारे पहुँची। शिकायतकर्ता सफाई कर्मचारी ने जो छठा स्थान या साइट चिह्नित की थी, वह वही जगह थी। तीसरे दिन भी एसआईटी टीम ने फोरेंसिक टीम, मेडिकल टीम और मजदूरों के साथ साइट नंबर 6 पर खुदाई शुरू कर दी। शुरुआती पाँच खुदाई की विफलता के बाद, अब धीरे-धीरे शिकायतकर्ता सफाई कर्मचारी के दावे पर सवाल उठने लगे थे। इन्हीं सवालों के बीच, तीसरे दिन की खुदाई का काम शुरू होता है। रुक-रुक कर बारिश भी हो रही थी। बारिश की वजह से गड्ढे में पानी भी भर रहा था। गड्ढे से पानी निकालने के लिए वाटर पंप का भी इस्तेमाल किया जा रहा था। धीरे-धीरे गड्ढा गहरा होता जा रहा था। और फिर...

गड्ढे से निकाली गईं हड्डियाँ

पहले दो दिनों की विफलता के बाद, तीसरे दिन ही, पहली खुदाई में, यानी साइट नंबर 6 से, अचानक कुछ कंकालों के अवशेष यानी मानव हड्डियाँ दिखाई देती हैं। मजदूर तुरंत अपने हाथ रोक लेते हैं। फावड़ा और अन्य औज़ार एक तरफ रख दिए जाते हैं। मौके पर मौजूद फोरेंसिक टीम पूरी सुरक्षा के साथ उन हड्डियों को गड्ढे से बाहर निकालती है।

साक्ष्य नष्ट होने का खतरा

दरअसल, गीली मिट्टी और नेत्रवती नदी के किनारे होने के कारण, फोरेंसिक टीम का मानना था कि अगर यहाँ कंकाल या मानव हड्डियाँ मिलती हैं, तो उनकी हालत खराब होगी। ऐसे में जेसीबी या अन्य मशीनों से खुदाई के दौरान उन साक्ष्यों के नष्ट होने का खतरा था। फोरेंसिक टीम के निर्देश पर, जेसीबी या अन्य मशीनों का इस्तेमाल ज़्यादातर ऊपरी खुदाई के लिए ही किया जा रहा था। फोरेंसिक टीम का शुरू से ही प्रयास था कि खुदाई में भले ही समय लगे, लेकिन खुदाई छोटे औज़ारों का इस्तेमाल करके मज़दूरों से ही कराई जाए।

हड्डियाँ एक डिब्बे में सुरक्षित

लेकिन जैसे ही कंकाल के अवशेष पहली बार दिखाई दिए, मज़दूरों को भी औज़ारों का इस्तेमाल करने से रोक दिया गया। ताकि पहले से क्षतिग्रस्त हड्डियाँ और क्षतिग्रस्त न हों। इसके बाद, फोरेंसिक टीम के निर्देश पर, मज़दूर धीरे-धीरे अपने हाथों से उनके आसपास की मिट्टी हटा रहे थे। बाद में, फोरेंसिक टीम ने मौके से बरामद हड्डियों को अपने कब्जे में लेकर एक सुरक्षित डिब्बे में रख दिया।

हड्डियों की जाँच में सामने आएगा सच

शुरुआती पाँच नाकामियों के बाद, आखिरकार, शिकायतकर्ता सफ़ाई कर्मचारी के दावे के अनुसार, छठे स्थान यानी साइट नंबर छह से मानव कंकाल के रूप में कुछ हड्डियाँ निकलती हैं। साइट नंबर 6 से बरामद कंकालों या हड्डियों की हालत बेहद खराब थी। एसआईटी सूत्रों के अनुसार, मौके पर मौजूद फ़ोरेंसिक विशेषज्ञों के अनुसार, यह कंकाल किसी पुरुष का प्रतीत होता है। हालाँकि, फ़ोरेंसिक जाँच के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि ये हड्डियाँ किसी पुरुष की हैं या महिला की। फ़ोरेंसिक जाँच के बाद यह भी पता चलेगा कि जिस व्यक्ति की ये हड्डियाँ हैं, उसकी उम्र कितनी रही होगी और उसकी ऊँचाई कितनी रही होगी?

शवों का सच कैसे उजागर करेगी एसआईटी

साइट नंबर 6 से इन हड्डियों की बरामदगी के बाद, एसआईटी तुरंत इसके आसपास भी खुदाई करने का फ़ैसला करती है। खुदाई के साथ-साथ इस जगह की मिट्टी के नमूने भी लिए जाते हैं। हड्डियाँ बरामद होते ही डॉग स्क्वॉड को भी मौके पर बुलाया जाता है। चूँकि कंकाल मिलने वाली जगह की पहचान शिकायतकर्ता सफ़ाई कर्मचारी ने की थी, इसलिए खुदाई के तीसरे दिन पहली बार एसआईटी को भी उसके दावे पर यकीन होने लगा। हालाँकि, सिर्फ़ हड्डियों का मिलना ही उसके दावे को पुष्ट नहीं करता। सबसे पहले, फ़ोरेंसिक विशेषज्ञों को यह साबित करना होगा कि ये हड्डियाँ किसी इंसान की हैं, किसी जानवर की नहीं।

पहचान की चुनौती

एक बार जब यह साबित हो जाएगा कि ये हड्डियाँ इंसान की हैं, तो दूसरी चुनौती मृतक की सही पहचान करने की होगी और यह तभी संभव है जब उसका डीएनए उस परिवार के डीएनए से मेल खाए जिसका कोई व्यक्ति रहस्यमयी तरीके से मारा गया हो या वर्षों से रहस्यमय तरीके से लापता हो। इसके लिए ज़रूरी है कि ऐसे शिकायतकर्ता ज़्यादा से ज़्यादा संख्या में आगे आएँ और पुलिस से संपर्क करें।

एसआईटी की लोगों से अपील
एसआईटी ख़ुद भी इस चुनौती से वाकिफ़ है। इसीलिए बुधवार को खुदाई के दौरान एक लाल रंग का फटा हुआ ब्लाउज़, एटीएम और पैन कार्ड मिलने के बाद एसआईटी ने एक बयान जारी किया। इस बयान में लोगों से अपील की गई है कि वे अपनी शिकायत लेकर एसआईटी कार्यालय पहुँचें। फिलहाल, एसआईटी ने मंगलुरु के मल्लिकट्टे स्थित एक सरकारी गेस्ट हाउस में अपना कार्यालय स्थापित कर लिया है। एसआईटी ने बयान में कहा है कि कोई भी व्यक्ति सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक अपनी शिकायत लेकर इस कार्यालय में आ सकता है। इतना ही नहीं, एसआईटी ने शिकायत दर्ज कराने के लिए अपना व्हाट्सएप नंबर, टेलीफोन नंबर और ईमेल आईडी भी उपलब्ध कराया है।