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झारखंड में बन रही है अनोखी पांच मंजिला इमारत: ईंट, बालू-पत्थर और सीमेंट से मुक्त

 

आधुनिकता के इस युग में हर दिन कुछ नया देखने को मिल रहा है, और अब झारखंड की राजधानी रांची में एक ऐसी बहुमंजिला इमारत का निर्माण हो रहा है, जो परंपरागत निर्माण विधियों को चुनौती दे रही है। यह इमारत न केवल आकार और डिज़ाइन में अलग है, बल्कि इसके निर्माण में ईंट, बालू-पत्थर और सीमेंट जैसे पारंपरिक सामग्री का इस्तेमाल भी नहीं किया गया है।

परंपरागत निर्माण से बाहर की सोच

यह पाँच मंजिला इमारत एक नवाचार और विकसित निर्माण तकनीकी का बेहतरीन उदाहरण है। इस इमारत के निर्माण में उपयोग किए गए मॉड्यूलर और इको-फ्रेंडली सामग्री से लेकर सस्टेनेबल कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी तक, यह सभी परंपरागत निर्माण विधियों से परे एक नई दिशा को संकेत करता है।

यह इमारत उन क्षेत्रों में हो रही प्रगति को दर्शाती है, जहां हम समाज और पर्यावरण की जरूरतों को देखते हुए स्मार्ट और सस्टेनेबल डिज़ाइनों की ओर बढ़ रहे हैं।

किस सामग्री का इस्तेमाल किया गया है?

इस अनोखी इमारत में मॉड्यूलर सामग्री और प्री-फैब्रिकेटेड पैनल्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा, कुछ इको-फ्रेंडली और हाइब्रिड सामग्री का भी समावेश किया गया है, जो न केवल मजबूत होती हैं बल्कि पर्यावरण के लिए भी कम हानिकारक साबित होती हैं।

इनमें से कुछ प्रमुख सामग्री में शामिल हैं:

  1. एल्यूमिनियम और स्टील पैनल्स

  2. वर्टिकल गार्डन पैनल्स

  3. रिसाइकल्ड मटेरियल (जैसे प्लास्टिक और कागज के फाइबर)

  4. एयर-ब्लॉक टेक्नोलॉजी (जो ठंडक बनाए रखने के लिए उपयुक्त है)

निर्माण प्रक्रिया की विशेषताएं

इस इमारत के निर्माण में प्री-फैब्रिकेटेड तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे निर्माण समय में काफी कमी आएगी। कंक्रीट और ईंट के उपयोग से बचने की कोशिश की गई है, ताकि पर्यावरण पर कम दबाव डाला जाए और ऊर्जा की खपत भी कम हो। साथ ही, यह तरीका कम लागत और जलवायु के अनुकूल है।

इमारत के डिज़ाइन में स्मार्ट तकनीक

इस इमारत का डिज़ाइन न केवल आकर्षक है, बल्कि यह स्मार्ट घर के सभी तत्वों को शामिल करता है:

  • स्मार्ट लाइटिंग और ऑटोमेटेड रेजिडेंशियल सिस्टम्स

  • सोलर पैनल्स की स्थापना

  • वर्टिकल गार्डन और हरित आवरण

  • वेंटिलेशन और तापमान नियंत्रण के लिए आधुनिक उपकरण

इस इमारत को बनाने का उद्देश्य ऊर्जा बचत और सतत विकास की दिशा में एक बड़ा कदम उठाना है।

पर्यावरणीय प्रभाव और भविष्य की दिशा

इस प्रोजेक्ट का सबसे बड़ा पर्यावरणीय लाभ यह है कि यह पारंपरिक निर्माण विधियों से कम प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करता है। ईंट, बालू और सीमेंट जैसे सामग्रियों के बिना कोयला, खनिज और जल की खपत में भी कमी आई है, जिससे यह सस्टेनेबल और इको-फ्रेंडली भवन बन चुका है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के निर्माण भविष्य में शहरी विकास और पर्यावरण की संतुलन में एक बड़ा योगदान कर सकते हैं। साथ ही, स्मार्ट निर्माण के जरिये रचनात्मकता और सस्टेनेबल डिज़ाइनों का विस्तार हो सकता है।