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भूरे चावल पर उगाई कीड़ाजड़ी, शिमला के छात्र सात्विक चौहान का अनोखा कारनामा

 

हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाने वाली दुर्लभ और बेहद मूल्यवान कीड़ाजड़ी (Cordyceps Mushroom) को अब खेतों में उगाना संभव हो गया है। यह असंभव सा लगने वाला कारनामा कर दिखाया है शिमला जिले की कोटखाई तहसील के भवाणा (पुड़ग) गांव के छात्र सात्विक चौहान ने। उन्होंने भूरे चावल के दानों पर कीड़ाजड़ी उगाकर एक नया इतिहास रच दिया है।

डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के छात्र सात्विक ने मुख्यमंत्री स्टार्टअप योजना के तहत इस प्रयोग को सफल बनाया। मात्र तीन महीने के भीतर उन्होंने आधा किलो कीड़ाजड़ी मशरूम तैयार कर ली, जिसकी बाजार में कीमत लगभग 40 हजार रुपये आंकी जा रही है। वहीं, एक किलो कीड़ाजड़ी मशरूम का बाजार मूल्य 80 हजार रुपये तक बताया जा रहा है।

सात्विक ने बताया कि उन्होंने इस प्रयोग में भूरे चावल को माध्यम बनाया और नियंत्रित वातावरण में कीड़ाजड़ी उगाई। उनका यह प्रयोग अब युवाओं के लिए स्वरोजगार का नया विकल्प बनकर सामने आया है। यह मशरूम औषधीय गुणों से भरपूर होती है और आयुर्वेद व चीनी चिकित्सा में इसका व्यापक प्रयोग होता है, खासकर इम्यून सिस्टम को मजबूत करने, थकान दूर करने और श्वसन संबंधी रोगों में लाभकारी मानी जाती है।

विश्वविद्यालय प्रबंधन और वैज्ञानिकों ने सात्विक की इस उपलब्धि की सराहना की है और कहा है कि यदि इसे व्यावसायिक रूप से अपनाया जाए तो पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि आधारित स्टार्टअप्स को नई दिशा मिल सकती है।