समग्र शिक्षा अभियान के तहत बहाल 21 बीआरपी की सेवा समाप्त, रांची और देवघर के कर्मचारी प्रभावित
समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत आउटसोर्सिंग के माध्यम से कार्यरत 21 प्रखंड साधन सेवियों (ब्लॉक रिसोर्स पर्सन - BRP) की सेवा समाप्त करने का आदेश जारी किया गया है। इन कर्मचारियों में रांची जिले के 18 तथा देवघर जिले के तीन बीआरपी शामिल हैं। शिक्षा विभाग के इस फैसले से प्रभावित कर्मियों में निराशा व्याप्त है।
शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार, ये बीआरपी अब तत्काल प्रभाव से सेवा मुक्त माने जाएंगे। विभाग ने इस निर्णय के पीछे प्रशासनिक कारणों और योजना के तहत निर्धारित सेवा शर्तों का हवाला दिया है। हालांकि, प्रभावित कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें न तो कोई पूर्व सूचना दी गई और न ही सेवा समाप्ति से पहले कारण स्पष्ट किया गया।
कौन होते हैं बीआरपी और क्या होता है उनका कार्य?
प्रखंड साधन सेवी या बीआरपी समग्र शिक्षा अभियान के तहत शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए नियुक्त किए जाते हैं। इनका कार्य मुख्य रूप से विद्यालयों में शिक्षण गुणवत्ता का मूल्यांकन करना, शिक्षकों को प्रशिक्षण देना, शैक्षणिक योजना बनाना और उसके क्रियान्वयन में सहयोग करना होता है। ये कर्मचारी शिक्षा व्यवस्था की नींव को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाते हैं।
सेवा समाप्ति के बाद क्या बोले कर्मचारी
रांची जिले के एक बीआरपी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "हम वर्षों से इस पद पर कार्यरत थे। बच्चों की शिक्षा और स्कूलों के विकास में हमने अहम योगदान दिया है। अचानक सेवा समाप्त कर देना न केवल हमारे लिए, बल्कि शिक्षा प्रणाली के लिए भी नुकसानदायक होगा।"
देवघर से संबंधित बीआरपी ने कहा कि उन्होंने पूरे समर्पण और ईमानदारी से कार्य किया, लेकिन सेवा शर्तों और आउटसोर्सिंग नीति के कारण अब भविष्य असमंजस में है। उनका कहना है कि राज्य सरकार को इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए।
क्या कहते हैं शिक्षा विभाग के अधिकारी?
शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह निर्णय पूर्व निर्धारित अनुबंध और आउटसोर्सिंग एजेंसी से हुए करार के आधार पर लिया गया है। कुछ मामलों में सेवा अवधि पूरी हो चुकी थी, वहीं कुछ मामलों में विभागीय समीक्षा में प्रदर्शन संतोषजनक नहीं पाया गया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य में आवश्यकता के अनुसार नए बीआरपी की बहाली की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।