देशभर में बारिश ने पकड़ी रफ्तार, किसानों के चेहरों पर मुस्कान, नदियों के बढ़ते जलस्तर से किनारे बसे लोगों में चिंता
देश के कई हिस्सों में मानसून ने जोर पकड़ लिया है, जिससे एक ओर किसानों के चेहरे खिले हैं, वहीं नदी किनारे बसे लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं। खेतों में लहलहाती फसलें जहां अच्छी बारिश की सौगात का संकेत दे रही हैं, वहीं नदियों का बढ़ता जलस्तर संभावित बाढ़ का खतरा भी पैदा कर रहा है।
मौसम विभाग का अलर्ट
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने आगामी 11 जुलाई से 16 जुलाई तक भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। इस अवधि में खासकर—
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पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र
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उत्तर भारत (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश)
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मध्य भारत (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़)
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पूर्वोत्तर राज्य (असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश)
में गरज-चमक के साथ तेज बारिश होने की संभावना जताई गई है।
मौसम विभाग के अनुसार:
“मानसूनी ट्रफ लाइन सक्रिय है और अरब सागर व बंगाल की खाड़ी से आर्द्र हवाएं उत्तर भारत में प्रवेश कर रही हैं, जिससे व्यापक वर्षा का पूर्वानुमान है।”
किसानों के लिए राहत
बारिश की यह रफ्तार धान, मक्का, सोयाबीन और दालों जैसी खरीफ फसलों के लिए बेहद अनुकूल मानी जा रही है। कई राज्यों में धान की रोपाई शुरू हो गई है और मिट्टी में नमी बढ़ने से कृषि गतिविधियों में तेजी आई है। खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, और पश्चिम बंगाल में किसान इस वर्ष बेहतर पैदावार की उम्मीद कर रहे हैं।
बढ़ते जलस्तर से खतरा
वहीं दूसरी ओर, गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र और घाघरा जैसी नदियों के किनारे बसे इलाकों में जलस्तर में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। बिहार, असम और पूर्वी उत्तर प्रदेश में तटीय इलाकों में बाढ़ की आशंका को देखते हुए प्रशासन अलर्ट मोड में है।
असम के कई जिलों में पहले ही नदी किनारे बसे गांवों को खाली कराने का काम शुरू हो चुका है। वहीं उत्तराखंड और हिमाचल के कुछ इलाकों में भूस्खलन और सड़कें बंद होने की खबरें भी आ रही हैं।
प्रशासन की तैयारियां
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राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) को अलर्ट पर रखा गया है।
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बाढ़ संभावित क्षेत्रों में राहत शिविर तैयार किए जा रहे हैं।
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निचले इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजने की तैयारियां शुरू हैं।
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स्कूलों में छुट्टियां घोषित करने की भी चर्चा चल रही है, जहां भारी बारिश की संभावना है।