सामाजिक कुरीतियों का विरोध बना गुनाह, तीन परिवारों का गांव में बहिष्कार
समाज में बदलाव की कीमत कितनी बड़ी हो सकती है, इसका उदाहरण जिले के मारंगहादा थाना क्षेत्र अंतर्गत बिचागुटु गांव के टोला रांगरोंग में देखने को मिला है। यहां के तीन परिवारों को सिर्फ इसलिए सामाजिक रूप से बहिष्कृत कर दिया गया क्योंकि उन्होंने सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया।
😔 बदलाव की कोशिश पर सज़ा
जानकारी के अनुसार, इन परिवारों ने गांव में लंबे समय से चली आ रही कुछ परंपराओं और कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने महिलाओं और बच्चों से जुड़े मामलों में समानता और सम्मान की बात की, साथ ही कुछ अंधविश्वासों और दबावों का विरोध किया।
🚫 बहिष्कार का आदेश, रिश्ते भी तोड़ दिए
इनके विरोध के बाद गांव के प्रभावशाली लोगों ने पंचायत बुलाकर इन परिवारों को सामाजिक तौर पर बहिष्कृत कर दिया। अब गांव में:
-
कोई उनसे बातचीत नहीं कर रहा
-
किसी भी सामाजिक या धार्मिक कार्यक्रम में उन्हें नहीं बुलाया जा रहा
-
दुकान से सामान देना भी कई लोगों ने बंद कर दिया
🗣️ पीड़ितों का दर्द
“हमने सोचा था कि शिक्षा और जागरूकता से समाज बदलेगा, लेकिन यहां तो हमें अपने ही गांव में पराया बना दिया गया,” — एक पीड़ित महिला की आंखों में आंसू छलक आए।
⚖️ प्रशासन से गुहार
पीड़ित परिवारों ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस से मदद की गुहार लगाई है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। प्रशासन का कहना है कि जांच कर उचित कदम उठाए जाएंगे।
📢 सामाजिक कार्यकर्ताओं की मांग
सामाजिक संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस घटना की निंदा करते हुए त्वरित हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि समाज में सुधार की कोशिश करने वालों को सजा मिलना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।