विपक्षी महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर झामुमो की 12 सीटों की मांग से सियासी सस्पेंस बढ़ा
बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर विपक्षी महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर चर्चाओं और राजनीति की सरगर्मी तेज हो गई है। खासकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने महागठबंधन से 12 सीटों की मांग कर दी है, जिससे गठबंधन के अंदर सीटों के वितरण को लेकर मंथन और कठिन होता जा रहा है।
झामुमो इस बार अपनी दावेदारी मजबूत करने की पूरी कोशिश कर रहा है। पार्टी का तर्क है कि वे पड़ोसी राज्य झारखंड में कांग्रेस, राजद और भाकपा (माले) के साथ सत्ता साझा कर रहे हैं, लेकिन बिहार के महागठबंधन में उनका कोई हिस्सा नहीं है। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में झामुमो महागठबंधन में शामिल होने के प्रयास में विफल रहा और पांच सीटों पर अकेले चुनाव लड़कर हार का सामना करना पड़ा था।
इस बार झामुमो अपने प्रदर्शन का हवाला देते हुए 12 सीटें मांग रहा है, जो कि 2024 के झारखंड विधानसभा चुनावों में गठबंधन के सत्ता में लौटने के बाद राजद को छह सीटें और एक मंत्री पद दिए जाने के आधार पर है। हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली पार्टी का कहना है कि बिहार में भी उनकी हिस्सेदारी बढ़नी चाहिए।
हालांकि, इस मांग से महागठबंधन के अंदर जटिलताएं बढ़ सकती हैं। कांग्रेस पार्टी 70 सीटों पर अपना दावेदारी कर रही है, वहीं राजद कांग्रेस को 50 से 55 सीटें देने के पक्ष में नहीं है। राजद का कहना है कि कांग्रेस को अधिक सीटें देने से गठबंधन के अंदर असंतुलन पैदा हो सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि झामुमो की 12 सीटों की मांग विपक्षी गठबंधन के समीकरणों को चुनौती दे रही है और इससे सीट बंटवारे को लेकर पार्टीयों के बीच बातचीत और कड़ी हो जाएगी। महागठबंधन के नेताओं के बीच संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती हो सकता है, क्योंकि सभी पार्टियां अपनी-अपनी सीटों पर दावा कर रही हैं।
इस स्थिति में महागठबंधन के शीर्ष नेतृत्व को बैठकर आपसी सहमति से सीट बंटवारा करना होगा ताकि चुनाव में विपक्ष एकजुट होकर मुकाबला कर सके। इस बीच, राजद, कांग्रेस और झामुमो के बीच बातचीत जारी है और अगले कुछ दिनों में सीट बंटवारे को लेकर अंतिम फैसला आने की संभावना है।