झामुमो ने केंद्र सरकार को दी चेतावनी, चार महीने में झारखंड के बकाया और हक-अधिकारों का निपटारा हो
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि झारखंड के बकाया और हक-अधिकारों को लेकर चार महीने के भीतर समाधान किया जाए, अन्यथा पार्टी विरोध की सख्त रणनीति अपनाएगी।
प्रमुख बिंदु:
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बकाया और हक-अधिकारों का मुद्दा: झामुमो पार्टी ने राज्य के बकाया राशि और अन्य हक-अधिकारों के मामले में केंद्र सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया है। पार्टी ने सरकार से इन मुद्दों को शीघ्र हल करने की मांग की है।
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चार महीने का अल्टीमेटम: पार्टी महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने केंद्र सरकार को चार महीने का समय दिया है, जिसके बाद अगर कोई समाधान नहीं होता है, तो झामुमो और उसके समर्थक सड़कों पर उतर सकते हैं और आंदोलन कर सकते हैं।
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केंद्र सरकार को चेतावनी: भट्टाचार्य ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि झारखंड के विकास के लिए जिन वादों और समझौतों को लागू किया जाना चाहिए था, वह अभी तक अधूरे हैं। केंद्र की ओर से इसे लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे राज्य में असंतोष बढ़ रहा है।
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राज्य के अधिकारों का सम्मान: भट्टाचार्य ने यह भी कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा सरकार और केंद्र के बीच एक स्थिर और मजबूत संबंध बनाने की पक्षधर है, लेकिन झारखंड के अधिकारों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
भविष्य की दिशा:
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यदि केंद्र सरकार इन मुद्दों को समय पर नहीं सुलझाती, तो झामुमो पार्टी विरोध प्रदर्शन और आंदोलन के जरिए अपनी मांगों को लेकर केंद्र पर दबाव बनाने की योजना बना सकती है।
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झारखंड में पार्टी के बढ़ते असंतोष को देखते हुए, यह राजनीतिक संघर्ष और भी तीव्र हो सकता है, जो राज्य और केंद्र के संबंधों को प्रभावित कर सकता है।