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झारखंड की नई उत्पाद नीति से बढ़ेगी राजस्व की आमद, 1 सितंबर से लागू होगी नई नियमावली

 

झारखंड सरकार ने राज्य की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए नई उत्पाद नीति लागू करने का फैसला किया है। ‘झारखंड उत्पाद (मदिरा की खुदरा बिक्री हेतु दुकानों की बंदोबस्ती एवं संचालन) नियमावली 2025’ को अंतिम रूप दे दिया गया है और यह 1 सितंबर 2025 से प्रभावी हो जाएगी। सरकार को इस नई नीति के माध्यम से 31 मार्च 2026 तक बंपर राजस्व मिलने की उम्मीद है।

राज्य के उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग द्वारा तैयार की गई यह नीति राज्य में मदिरा की खुदरा बिक्री व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी, प्रतिस्पर्धात्मक और राजस्व उन्मुख बनाने के उद्देश्य से लाई गई है।

क्या है नई नीति की विशेषताएं?

  1. नए लाइसेंसिंग सिस्टम की शुरुआत
    इस नीति के अंतर्गत मदिरा की दुकानों की बंदोबस्ती ई-नीलामी (ऑनलाइन बोली प्रक्रिया) के माध्यम से की जाएगी। इससे न केवल प्रक्रिया पारदर्शी होगी, बल्कि प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी, जिससे सरकार को अधिक बोली मूल्य के रूप में राजस्व में बढ़ोतरी की संभावना है।

  2. लाइसेंस अवधि का निर्धारण
    1 सितंबर 2025 से लागू होने वाली यह नीति 31 मार्च 2026 तक प्रभावी रहेगी। इस अवधि के लिए दुकानें आवंटित की जाएंगी, जिससे सरकार को निश्चित अवधि में उच्चतम आय अर्जित करने का लक्ष्य रखा गया है।

  3. राजस्व लक्ष्य
    उत्पाद विभाग को उम्मीद है कि इस नई व्यवस्था से उसे हजारों करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा, जो राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में सहायक होगा। विभाग के अधिकारियों का मानना है कि यह नीति पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ सकती है।

  4. जवाबदेही और निगरानी व्यवस्था
    नई नियमावली के तहत दुकानों के संचालन और मदिरा बिक्री की निगरानी के लिए डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम, साप्ताहिक रिपोर्टिंग और स्थानीय निरीक्षण दल गठित किए जाएंगे, ताकि किसी भी प्रकार की अनियमितता को रोका जा सके।

  5. महिलाओं एवं युवाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता
    इस बार विशेष ध्यान दिया गया है कि मदिरा दुकानों के संचालन से सामाजिक संतुलन न बिगड़े। स्कूल-कॉलेज, धार्मिक स्थलों और महिला बहुल क्षेत्रों के पास शराब दुकानों की अनुमति नहीं दी जाएगी।

सरकार की मंशा: राजस्व के साथ-साथ नियंत्रण भी

झारखंड सरकार की मंशा साफ है — राजस्व में वृद्धि के साथ-साथ सामाजिक नियंत्रण भी जरूरी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पहले ही स्पष्ट किया था कि “शराब नीति को सिर्फ आमदनी का जरिया नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी के तहत संतुलित रूप में लागू किया जाएगा।”

विपक्ष और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया

हालांकि, विपक्ष और कुछ सामाजिक संगठनों ने इस नीति को लेकर अपनी चिंता भी जताई है। उनका कहना है कि शराब दुकानों की संख्या में वृद्धि से सामाजिक समस्याएं बढ़ सकती हैं। इसके जवाब में सरकार ने कहा है कि हर दुकान के लिए सामाजिक प्रभाव अध्ययन अनिवार्य किया गया है।