झारखंड स्टेट फार्मेसी काउंसिल में चयन प्रक्रिया पर बवाल, लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा का जोरदार विरोध प्रदर्शन
झारखंड स्टेट फार्मेसी काउंसिल (JSPC) में रजिस्ट्रार सहित मनोनीत सदस्यों के चयन को लेकर उठे विवाद ने अब तूल पकड़ लिया है। चयन प्रक्रिया को लेकर लगातार उठ रहे सवालों के बीच शनिवार को झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा ने रांची स्थित काउंसिल कार्यालय गेट के सामने जमकर विरोध प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि रजिस्ट्रार और अन्य सदस्यों की नियुक्ति में नियमों की अनदेखी की गई है और पूरी प्रक्रिया पारदर्शी नहीं रही। मोर्चा के नेताओं ने कहा कि चयन में योग्यता, अनुभव और प्रक्रियागत पारदर्शिता को दरकिनार कर चहेतों को पद दे दिए गए हैं, जिससे न केवल काउंसिल की गरिमा पर सवाल खड़े हो रहे हैं, बल्कि फार्मासिस्ट समुदाय में भी आक्रोश व्याप्त है।
क्या हैं आरोप?
झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक प्रमोद मिश्रा ने कहा कि झारखंड स्टेट फार्मेसी काउंसिल में रजिस्ट्रार पद के लिए योग्य और अनुभवी उम्मीदवारों की अनदेखी की गई है। इसके बजाय ऐसे व्यक्ति को नियुक्त किया गया है जो न तो अनुभव रखते हैं, न ही प्रक्रिया का पालन हुआ। उन्होंने इसे सरकार और संबंधित विभाग की मिलीभगत करार दिया।
प्रशासन पर सीधा निशाना
प्रदर्शनकारियों ने राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग को आड़े हाथों लिया। मोर्चा के सदस्यों ने आरोप लगाया कि चयन प्रक्रिया में राजनीतिक हस्तक्षेप हुआ है और इससे पूरी काउंसिल की साख पर सवाल खड़े हो गए हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही चयन प्रक्रिया को रद्द कर पुनः पारदर्शी तरीके से नियुक्ति नहीं की गई, तो वे राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे।
मांगों का ज्ञापन सौंपा गया
विरोध प्रदर्शन के बाद मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल ने अपनी मांगों का ज्ञापन झारखंड स्टेट फार्मेसी काउंसिल के अध्यक्ष के नाम सौंपा। ज्ञापन में रजिस्ट्रार व मनोनीत सदस्यों की नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर, नई चयन प्रक्रिया स्वतंत्र समिति की निगरानी में शुरू करने की मांग की गई है।
फार्मासिस्टों में रोष
इस पूरे विवाद से झारखंड के फार्मासिस्ट समुदाय में नाराजगी बढ़ रही है। कई फार्मासिस्ट संगठनों ने भी मोर्चा की मांगों का समर्थन करते हुए कहा है कि काउंसिल जैसी संवेदनशील संस्था में निष्पक्षता और योग्यता की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
आगे की रणनीति
प्रदर्शन के दौरान मोर्चा के नेताओं ने घोषणा की कि यदि 7 दिनों के भीतर उनकी मांगों पर कार्रवाई नहीं की जाती, तो वे फार्मेसी काउंसिल कार्यालय का घेराव करेंगे और जरूरत पड़ी तो अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन भी किया जाएगा।
झारखंड स्टेट फार्मेसी काउंसिल में जारी यह विवाद अब राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर गंभीर मोड़ लेता दिख रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि प्रशासन पारदर्शिता की दिशा में क्या कदम उठाता है, और क्या फार्मासिस्ट समुदाय का विश्वास बहाल हो पाता है या नहीं।