कुसुम विहार की दिव्या कुमारी माइग्रेन से परेशान, हर महीने 15 दिन तक झेलती हैं सिरदर्द का दर्द
शहर के कुसुम विहार इलाके में रहने वाली बैंक कर्मचारी दिव्या कुमारी इन दिनों माइग्रेन जैसी जटिल बीमारी से जूझ रही हैं। उन्हें महीने में लगभग 15 दिन तक तेज़ सिरदर्द की शिकायत रहती है, जो न केवल उनकी कार्यक्षमता को प्रभावित कर रही है, बल्कि उनकी दिनचर्या और मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डाल रही है।
दिव्या कुमारी एक प्रतिष्ठित बैंक में कार्यरत हैं और रोज़ाना दफ्तर में लंबी शिफ्टों के दौरान उन्हें कंप्यूटर स्क्रीन पर काम करना होता है। पिछले कुछ महीनों से उन्हें अक्सर सिर में तेज़ दर्द की समस्या होने लगी थी, खासकर शाम के समय। यह दर्द कभी पाँच मिनट तक रहता था तो कभी दो घंटे तक बना रहता था। शुरुआत में उन्होंने इसे सामान्य तनाव या थकान समझा, लेकिन जब यह समस्या लगातार बढ़ने लगी और महीने में आधे दिन इसी परेशानी में बीतने लगे, तब उन्होंने चिकित्सकीय सलाह लेने का निर्णय लिया।
चिकित्सा परामर्श के बाद यह स्पष्ट हुआ कि दिव्या माइग्रेन की समस्या से पीड़ित हैं। एसएनएमएमसीएच (शहीद निर्मल महतो मेमोरियल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल) के न्यूरोसर्जरी विभाग में उनका इलाज जारी है। न्यूरोलॉजिस्ट की देखरेख में उन्हें विशेष दवाएं दी जा रही हैं, जिससे उन्हें कुछ हद तक राहत भी मिली है।
क्या है माइग्रेन और कैसे होता है असर?
माइग्रेन एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जिसमें रोगी को बार-बार सिरदर्द के दौरे पड़ते हैं। यह दर्द सामान्य सिरदर्द से अधिक तीव्र और लंबा होता है और अक्सर एक ही ओर महसूस होता है। साथ ही इसमें मितली, उल्टी, रोशनी और आवाज़ के प्रति संवेदनशीलता जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। माइग्रेन का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन सही दवा, दिनचर्या और जीवनशैली से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
कारण और जोखिम
विशेषज्ञों का मानना है कि माइग्रेन का सीधा संबंध मानसिक तनाव, नींद की कमी, खानपान की अनियमितता और हार्मोनल बदलाव से होता है। कंप्यूटर या मोबाइल स्क्रीन पर लंबा समय बिताना, उच्च कैफीन युक्त पदार्थों का सेवन और शारीरिक श्रम की कमी भी इसके जोखिम को बढ़ाते हैं। महिलाओं में हार्मोनल परिवर्तन के चलते माइग्रेन की संभावना पुरुषों की तुलना में अधिक पाई जाती है।
क्या कहती हैं दिव्या?
दिव्या कुमारी ने बताया कि माइग्रेन के कारण उनकी कार्यक्षमता पर असर पड़ा है। कभी-कभी उन्हें अचानक उठकर ब्रेक लेना पड़ता है, क्योंकि तेज़ सिरदर्द उन्हें परेशान कर देता है। उन्होंने कहा कि एसएनएमएमसीएच में इलाज शुरू होने के बाद अब उन्हें कुछ राहत मिली है और चिकित्सकों की सलाह पर वह अपने खानपान, नींद और स्क्रीन टाइम पर भी ध्यान दे रही हैं।