रांची में बन रही अनोखी पांच मंजिला इमारत – न ईंट, न बालू, न पत्थर, फिर भी पूरी तरह मजबूत और टिकाऊ
जहां आज भी भारत के अधिकतर हिस्सों में इमारतों के निर्माण के लिए पारंपरिक सामग्रियों जैसे ईंट, बालू, पत्थर और भारी मात्रा में सीमेंट का उपयोग किया जाता है, वहीं झारखंड की राजधानी रांची में एक अनोखा और नवाचारी प्रयोग किया जा रहा है। यहां एक पांच मंजिला इमारत बन रही है, जिसमें ना ईंट का इस्तेमाल हुआ है, ना बालू-पत्थर का, और आश्चर्यजनक रूप से सीमेंट का उपयोग भी बहुत कम मात्रा में किया गया है।
इस इमारत का निर्माण कार्य इन दिनों रांची के एक प्रमुख इलाके में तेजी से जारी है, और यह आधुनिक तकनीक और नवाचार का बेहतरीन उदाहरण बनता जा रहा है। भवन निर्माण के क्षेत्र में यह प्रयोग झारखंड ही नहीं, पूरे देश के लिए एक नई दिशा दिखा सकता है।
कैसा है यह अनोखा निर्माण?
इस बहुमंजिला इमारत का निर्माण प्री-फैब्रिकेटेड तकनीक से किया जा रहा है। इसमें तैयार किए गए मॉड्यूलर ढांचों को मौके पर जोड़कर पूरी बिल्डिंग खड़ी की जा रही है।
इस तकनीक में फाइबर, स्टील, एल्यूमिनियम, हल्के कंक्रीट और प्लास्टिक मिश्रित मटीरियल का उपयोग हो रहा है, जो पारंपरिक निर्माण सामग्रियों की तुलना में कहीं ज्यादा टिकाऊ, हल्के और पर्यावरण के अनुकूल हैं।
क्या हैं इस निर्माण के फायदे?
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समय की बचत:
पारंपरिक निर्माण की तुलना में यह तकनीक बहुत कम समय में पूरा हो जाता है। पूरी इमारत महज कुछ महीनों में तैयार हो सकती है। -
कम खर्च:
ईंट, बालू और भारी सीमेंट के बजाय हल्के और टिकाऊ मटीरियल के उपयोग से निर्माण लागत काफी कम होती है। -
पर्यावरण के अनुकूल:
इस तकनीक से प्राकृतिक संसाधनों की खपत कम होती है और प्रदूषण भी नियंत्रित रहता है, जिससे यह निर्माण पूरी तरह ग्रीन बिल्डिंग की श्रेणी में आता है। -
भूकंप और आग प्रतिरोधक:
प्री-फैब्रिकेटेड संरचना भूकंप और आग जैसी आपदाओं के प्रति अधिक सुरक्षित होती है।
तकनीकी विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
निर्माण कार्य से जुड़े इंजीनियरों और विशेषज्ञों का कहना है कि भविष्य की जरूरतों को देखते हुए यह तकनीक बेहद उपयोगी साबित हो सकती है।
रांची जैसे शहरों में जहां शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है, वहां समय और संसाधनों की बचत करते हुए मजबूत इमारतें खड़ी करना बहुत जरूरी है।