55 की उम्र में जम्मू-कश्मीर के CM उमर अब्दुल्ला ने फांदी दीवार, पुलिस रह गई हक्का-बक्का, जानें मकसद?
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला सोमवार को सुरक्षा बैरिकेड्स तोड़कर मज़ार-ए-शुहादा (शहीद स्मारक) की चारदीवारी तक पहुँच गए और 1931 में डोगरा शासन के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन में शहीद हुए कश्मीरियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सुरक्षा बलों ने उन्हें श्रीनगर के पुराने शहर में स्थित स्मारक तक पहुँचने से रोक दिया। जम्मू-कश्मीर में रविवार, 13 जुलाई को शहीद दिवस मनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह सोमवार को बिना किसी को बताए वहाँ पहुँच गए, क्योंकि उन्हें रविवार को वहाँ जाने की अनुमति नहीं थी। उन्होंने दावा किया कि उन्हें हिरासत में लिया गया था।
बिना बताए मैं आ गया, मुख्यमंत्री ने कहा
मुख्यमंत्री ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा- उनकी बेशर्मी देखिए
नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता ने कहा कि सुरक्षा बलों ने आज भी उन्हें स्मारक तक पहुँचने से रोकने की कोशिश की और पूछा कि किस क़ानून के तहत ऐसा किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा, "उनकी बेशर्मी देखिए। आज भी उन्होंने हमें रोकने की कोशिश की। हमने नौहट्टा चौक पर गाड़ी खड़ी की। उन्होंने हमारे सामने बंकर बना दिया और हमारे साथ बदसलूकी करने की कोशिश की। वर्दी पहने ये पुलिसवाले कभी-कभी क़ानून भूल जाते हैं। मैं उनसे पूछना चाहता हूँ कि आज उन्होंने हमें किस क़ानून के तहत रोकने की कोशिश की? ये पाबंदियाँ तो कल की बात हैं। वो कहते हैं कि यह आज़ाद देश है, लेकिन कभी-कभी उन्हें लगता है कि हम उनके गुलाम हैं।" हम किसी के गुलाम नहीं हैं। अगर हम गुलाम हैं, तो हम जनता के गुलाम हैं।"