हिजबुल सरगना के बेटों को झटका, टेरर फंडिंग केस में दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज की याचिका
दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार (23 दिसंबर) को हिजबुल मुजाहिदीन चीफ सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटों और दूसरों की उन पिटीशन को खारिज कर दिया, जिनमें टेरर फंडिंग केस में उनके खिलाफ चार्ज तय करने को चुनौती दी गई थी। जस्टिस विवेक चौधरी और मनोज जैन की बेंच ने अपील को इस आधार पर खारिज कर दिया कि वे मेंटेनेबल नहीं थीं।
आरोपियों ने उनके खिलाफ चार्ज तय करने के ट्रायल कोर्ट के 2021 के ऑर्डर को चुनौती दी थी। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) के मुताबिक, यह केस पाकिस्तान के आतंकवादियों द्वारा हवाला चैनलों के जरिए जम्मू-कश्मीर में फंड ट्रांसफर करने से जुड़ा है। यह भारत में कुछ लोगों के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी और आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने और फंड करने की क्रिमिनल साजिश के तहत किया गया था।
ट्रायल कोर्ट के ऑर्डर के खिलाफ फाइल की गई अपील खारिज
हाई कोर्ट ने कश्मीरी अलगाववादी नेताओं मसर्रत आलम भट, शब्बीर अहमद शाह, नईम अहमद खान, इंडस्ट्रियलिस्ट जहूर अहमद शाह वटाली और दूसरों की उन अपील को खारिज कर दिया, जो टेरर फंडिंग केस में UAPA के तहत चार्ज तय करने के ट्रायल कोर्ट के ऑर्डर के खिलाफ फाइल की गई थीं।
पाकिस्तान से फंड जुटाने का आरोप
हिजबुल मुजाहिदीन चीफ सैयद सलाहुद्दीन के छोटे बेटे शाहिद यूसुफ और दूसरे आरोपियों ने टेरर फंडिंग केस में ट्रायल कोर्ट द्वारा आरोप तय किए जाने के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की थी। यूसुफ पर जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों के लिए पाकिस्तान से फंड जुटाने का आरोप था और 2019 में इस मामले में उसके और 18 अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की गई थी।
शाहिद यूसुफ को 2017 में गिरफ्तार किया गया था
साहुलुद्दीन के बेटे शाहिद यूसुफ को अक्टूबर 2017 में गिरफ्तार किया गया था। उसके दूसरे बेटे सैयद अहमद शकील को NIA ने 30 अगस्त, 2018 को श्रीनगर में उसके घर से 2011 में दर्ज टेरर फंडिंग केस के सिलसिले में गिरफ्तार किया था। दोनों पर विदेशी सोर्स और आतंकवादी संगठनों से पैसे लेने और जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देने का आरोप है।