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बादल फटा, सब कुछ बहा ले गया…पर चमत्कार बनकर बच गई 11 महीने की ये बच्ची

 

निकिता- एक ऐसा नाम जिसे आपने कई बार सुना होगा, लेकिन शायद कभी इसके मतलब के बारे में नहीं सोचा होगा। हिंदी में 'निकिता' का मतलब होता है 'अजेय'- यानी जो कभी हार न माने, हर तूफान से लड़े। आज हम जिस निकिता की बात कर रहे हैं, वो सिर्फ नाम से ही नहीं बल्कि अपने हौसले से भी 'अजेय' बन गई है। हिमाचल प्रदेश की ये 11 महीने की बच्ची मंडी में आई आपदा के वक्त भी मुस्कुराती रही, जब बड़े-बड़े हिम्मत हार रहे थे। बादल फटने की घटना ने सबकुछ तबाह कर दिया, लेकिन उसकी नन्ही सी मुस्कान मानो कह रही हो, 'मैं ठीक हूं और तुम ठीक हो जाओगे।' निकिता न सिर्फ बच गई बल्कि अनजाने में ही अपनी मासूमियत से कई टूटे दिलों को हिम्मत दे गई। जानिए आखिर कैसे उस आपदा में भी निकिता सुरक्षित है और मुस्कुरा रही है।

भूस्खलन में बह गया था पूरा परिवार
NDTV 11 महीने की अनाथ बच्ची तक पहुंचने के लिए 12 किलोमीटर पैदल चला। बादल फटने से माता-पिता और दादी की मौत हो चुकी है। निकिता मंडी के सिराज घाटी के तलवाड़ा गांव में अपने माता-पिता और दादी के साथ रहती थी। 30 जून से 1 जुलाई के बीच मंडी में एक साथ 10 से ज्यादा जगहों पर बादल फटने की घटनाएं हुईं। इस एक घटना में निकिता का परिवार बिखर गया। तलवाड़ा गांव पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में है और इसकी वजह है निकिता। नन्हीं निकिता के पिता रमेश कुमार, मां राधा देवी और दादी पूर्णो देवी घर पर ही थे। लेकिन जैसे ही बारिश हुई, घर की तरफ से पानी आने लगा और परिवार के तीनों सदस्य भूस्खलन में बह गए।

पिता बस घर बचाना चाहते थे

निकिता के चाचा ने इस बारे में NDTV से खास बातचीत की और बताया कि वह कैसे बची। निकिता के चाचा ने बताया, 'उस रात बारिश बहुत तेज थी और भाई के घर के ऊपर से बहुत पानी आ रहा था। उन्होंने सोचा कि पानी को थोड़ा डायवर्ट कर दिया जाए ताकि घर बच जाए। इसलिए तीनों घर से बाहर निकल गए और निकिता को घर के अंदर बंद करके बाहर चले गए। उन्हें लगा कि वह थोड़ी देर में वापस आ जाएंगे।' चाचा ने आगे कहा, 'उन्हें बाढ़ का कोई अंदाजा नहीं था और उन्हें नहीं पता था कि बादल फटा है।'

हालात से बेखबर निकिता अंदर सोती रही
सवाल यह है कि निकिता के चाचा और बाकी परिवार को कैसे पता चला कि वह घर के अंदर अकेली है? इस पर चाचा ने कहा, 'रात को करीब 2:30 बजे उसके पड़ोसी नीचे आए और उन्होंने देखा कि लड़की घर के अंदर अकेली सो रही है। फिर जब सुबह हुई तो हम पहुंचे और बचाव के लिए दौड़े। पानी बहुत ज्यादा था और हम दूसरी तरफ नहीं जा सकते थे। बड़ी मुश्किल से हमने पड़ोसी से संपर्क किया और उसने बताया कि एक बच्ची अंदर है और सुरक्षित है। परिवार का कोई और सदस्य नहीं दिख रहा है। फिर जब हमें थोड़ी चिंता हुई और पानी का स्तर कम हुआ तो हम तलाश करने निकले। तब हमें भाई का शव मिला। एसडीआरएफ के जवान निकिता की मां और दादी की तलाश कर रहे हैं, अभी तक कुछ नहीं मिला है।'

निकिता को गोद लेने से साफ इंकार
अब निकिता को गोद लेने के लिए कई लोग आ रहे हैं और एसडीएम ने भी इस नन्हीं सी जान को गोद लेने की इच्छा जताई है। लेकिन परिवार ने उसे गोद लेने से इंकार कर दिया है। निकिता की मौसी ने कहा है कि जो भी मदद करना चाहे, कर सकता है, लेकिन वे निकिता को गोद नहीं लेंगे। वहीं, चाचा ने कहा कि एक दिन में करीब 15 लोगों ने निकिता को गोद लेने की इच्छा जताई है, लेकिन वे खुद निकिता की देखभाल करेंगे। हां, अगर किसी को इस दिशा में मदद करनी है तो कर सकते हैं।