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हिमाचल में मानसून बना कहर: अब तक 85 की मौत, 34 लापता; सीएम सुक्खू पहुंचे पैदल आपदा क्षेत्र

 

हिमाचल प्रदेश में इस बार का मानसून एक बार फिर तबाही बनकर आया है। 20 जून से अब तक राज्य में 85 लोगों की मौत, 129 लोग घायल, और 34 लोग लापता हो चुके हैं। बादल फटने, भूस्खलन और बाढ़ जैसे प्राकृतिक कहर ने राज्य के कई हिस्सों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। राज्य सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट में इस भयावह स्थिति का खुलासा किया गया है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक 1,576 मकान, दुकानें और अन्य पक्के-कच्चे ढांचे या तो पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं या उन्हें भारी नुकसान हुआ है। साथ ही 877 से अधिक गोशालाएं भी क्षतिग्रस्त हुई हैं और 881 मवेशियों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। कुल मिलाकर नुकसान का आकलन 73,912.48 लाख रुपये (करीब 739 करोड़ रुपये) से अधिक पहुंच चुका है।

इस बीच, सड़क हादसों में भी 31 लोगों की जान गई है, जो कि खराब मौसम और सड़कों की बिगड़ती स्थिति का संकेत है।

मंडी जिला बना त्रासदी का केंद्र

सबसे गंभीर हालात मंडी जिले में देखे गए हैं, जहां 30 जून और 1 जुलाई के बीच आई आपदा में 409 मकान पूरी तरह से तबाह हो गए हैं, जबकि 789 मकानों को आंशिक नुकसान हुआ है। मंडी के रीला, देजी और पखरैर गांवों में सबसे ज्यादा तबाही हुई है। देजी गांव में बादल फटने से 11 लोग लापता हैं, जिनकी तलाश के लिए राहत एवं बचाव दल लगातार जुटा हुआ है।

पैदल पहुंचे मुख्यमंत्री सुक्खू, सुनी पीड़ितों की व्यथा

राज्य के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गुरुवार सुबह हालात का जायजा लेने के लिए आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। खराब सड़क स्थिति के चलते उन्होंने अपना काफिला बीच में ही छोड़ दिया और रीला से देजी और पखरैर गांव तक पैदल पहुंचे। रास्ते में उन्होंने देखा कि किस प्रकार बादल फटने से सड़क का कई मीटर हिस्सा बह गया है, जिससे गांवों का संपर्क पूरी तरह टूट चुका है।

सीएम सुक्खू ने रीला गांव में पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर उनका हालचाल जाना और भरोसा दिलाया कि सरकार हर संभव मदद देगी। उन्होंने अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से राहत सामग्री, अस्थायी आवास और पुनर्निर्माण कार्य शुरू करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा, "हम इस कठिन समय में लोगों के साथ खड़े हैं। पुनर्वास और राहत कार्य हमारी प्राथमिकता है।"