पानी का सैलाब भी शिवलिंग और नंदी को ना हिला सका, बस परिक्रमा कर चले गए विकराल रूप दिखा रहे ब्यास
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में जब आसमान से आफत बरसी और ब्यास नदी उफान पर थी, तब भी एक चमत्कार ने लोगों को अचंभित कर दिया। मंडी शहर का प्राचीन पंचवक्त्र महादेव मंदिर ब्यास के प्रचंड प्रवाह के बीच चट्टान की तरह खड़ा रहा। इस बार नदी की धारा मंदिर के चारों ओर घूम गई, लेकिन अंदर प्रवेश नहीं कर सकी। यह वही पंचवक्त्र मंदिर है, जो जुलाई 2023 की आपदा में पानी से भर गया था। उस समय मंदिर का द्वार भी नहीं खुल सका था और अंदर केवल नंदी बैल के सींग ही दिखाई दे रहे थे। मंदिर का अंदरूनी हिस्सा पूरी तरह गाद से भर गया था और मंदिर तक जाने वाला पुल ब्यास नदी में बह गया था। पानी उतरने के तीन दिन बाद जब मंदिर पूरी तरह से प्रकट हुआ तो श्रद्धालुओं की आंखें नम थीं। इस बार बारिश की रफ्तार और तूफान की गति फिर से भयावह रही। पंडोह बांध का जलस्तर 2922 फीट तक पहुंच गया, जो खतरे के निशान 2941 फीट के बेहद करीब है। बीती रात डेढ़ लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया।
मंदिर में भगवान शिव का वास!
16वीं शताब्दी का प्रसिद्ध मंदिर
पंचवक्त्र मंदिर, मंडी
पिछले कुछ दिनों में मंडी में बादल फटने की घटनाओं ने बाजार को बुरी तरह हिलाकर रख दिया है। गोहर, करसोग, थुनाग और धर्मपुर में 7 जगहों पर बादल फटे। अकेले गोहर में 9 लोग बह गए। बाढ़ में कई घर तबाह हो गए। संघोल में 24 घंटे में 223.6 मिमी बारिश दर्ज की गई। मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने अब तक 500 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान का अनुमान लगाया है।
एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत और बचाव में जुटी हैं। प्रशासन का दावा है कि अब तक मंडी के 278 लोगों समेत कुल 332 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। हालांकि, इस प्राकृतिक आपदा के बीच पंचवक्त्र मंदिर ने लोगों में आस्था और विश्वास की नई किरण जगाई है।