किसानों-बागवानों और आवास योजनाओं में कर्ज देने में कंजूसी दिखा रहे बैंक, आरबीआई ने दिखाई तल्खी
देश में कृषि, बागवानी और आवास क्षेत्र को गति देने के लिए सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) लगातार प्रयास कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद बैंक इन क्षेत्रों में कर्ज देने से कतराते नजर आ रहे हैं। किसानों, बागवानों और आवास योजनाओं के तहत ऋण वितरण में अपेक्षित प्रगति नहीं होने पर अब आरबीआई ने बैंकों के प्रति सख्त रुख अपनाया है। केंद्रीय बैंक ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि प्राथमिकता क्षेत्र को नजरअंदाज करना बैंकों को महंगा पड़ सकता है।
सूत्रों के मुताबिक, हाल की समीक्षा बैठकों में आरबीआई ने पाया कि कई बैंक कृषि और आवास क्षेत्र में निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप ऋण वितरण नहीं कर रहे हैं। खासकर छोटे और सीमांत किसानों, बागवानी से जुड़े लोगों और प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी योजनाओं के लाभार्थियों को कर्ज मिलने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसके चलते ग्रामीण अर्थव्यवस्था और हाउसिंग सेक्टर पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।
आरबीआई ने बैंकों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (PSL) के तहत किसानों, बागवानों और आवास योजनाओं को कर्ज देने में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा है कि जोखिम का हवाला देकर ऋण देने से बचना उचित नहीं है, क्योंकि इन क्षेत्रों के लिए सरकार की ओर से कई गारंटी और सब्सिडी योजनाएं पहले से मौजूद हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों) के डर से बैंक कृषि और हाउसिंग लोन को लेकर सतर्क हो गए हैं। कई मामलों में जरूरतमंद पात्र लाभार्थियों को भी दस्तावेजों और जटिल प्रक्रियाओं के नाम पर ऋण से वंचित किया जा रहा है। इससे न केवल किसानों की उत्पादन क्षमता प्रभावित हो रही है, बल्कि बागवानी और ग्रामीण रोजगार पर भी असर पड़ रहा है।
आरबीआई ने बैंकों को चेतावनी दी है कि यदि प्राथमिकता क्षेत्र के लक्ष्यों की अनदेखी जारी रही, तो नियामकीय कार्रवाई की जा सकती है। इसमें जुर्माना, अतिरिक्त प्रावधान या अन्य सख्त कदम शामिल हो सकते हैं। साथ ही, बैंकों को अपनी शाखाओं को निर्देश देने को कहा गया है कि वे कृषि और आवास ऋण के मामलों में संवेदनशीलता और तेजी दिखाएं।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर कर्ज न मिलने से किसान निजी साहूकारों के चंगुल में फंस जाते हैं, जहां उन्हें ऊंची ब्याज दरों पर पैसा लेना पड़ता है। इससे उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो जाती है। वहीं, आवास योजनाओं में देरी से गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों का घर बनाने का सपना अधूरा रह जाता है।
आरबीआई की इस सख्ती को ग्रामीण और आवास क्षेत्र के लिए सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि केंद्रीय बैंक के दबाव के बाद बैंक अपनी नीति में बदलाव करेंगे और किसानों, बागवानों तथा आवास योजना के लाभार्थियों को राहत मिलेगी।