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पलवल जिले के सरकारी स्कूल भवनों की बदहाल स्थिति, आधे से अधिक भवन जर्जर या कंडम घोषित

 

पलवल जिले में शिक्षा का ढांचा चौपट होने का खतरा मंडराने लगा है। जिले में मौजूद प्राइमरी, मिडिल और सीनियर सेकंडरी स्तर के कुल 603 सरकारी स्कूलों में से लगभग आधे से अधिक स्कूल भवन जर्जर हालत में हैं या फिर उन्हें कंडम घोषित कर दिया गया है। इस गंभीर स्थिति ने शिक्षा व्यवस्था को सीधे प्रभावित करने की आशंका पैदा कर दी है।

शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पलवल के 603 सरकारी स्कूलों में से करीब 50 प्रतिशत से ज्यादा स्कूल भवन ऐसे हैं जो संरचनात्मक रूप से कमजोर हो चुके हैं। कई स्कूलों के भवन ऐसे हैं जिन्हें गिराने या पुनर्निर्माण की सख्त जरूरत है। स्कूल भवनों की खराब हालत से बच्चों की सुरक्षा को खतरा बना हुआ है, साथ ही पढ़ाई का माहौल भी खराब हो रहा है।

स्थानीय अभिभावकों और शिक्षकों ने भी इस समस्या को लेकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि बच्चों की सुरक्षा सबसे पहले होनी चाहिए, लेकिन कई स्कूलों में तो वर्षा या तेज हवा में भी छत से टपकने वाले पानी और दीवारों में दरारें नजर आती हैं। कुछ स्कूलों में तो ऐसी हालत है कि पढ़ाई के लिए भी सुरक्षित जगह नहीं बची है।

शिक्षा विभाग के अधिकारी इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए सुधार के प्रयास कर रहे हैं, लेकिन बजट और संसाधनों की कमी के कारण कार्य धीमी गति से हो रहा है। कई स्कूलों में भवन मरम्मत और निर्माण का काम लंबित पड़ा हुआ है।

विशेषज्ञों का मानना है कि स्कूल भवनों की खराब स्थिति से न केवल बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है, बल्कि यह उनकी सुरक्षा के लिए भी खतरा है। इसलिए सरकार को स्कूल इंफ्रास्ट्रक्चर पर विशेष ध्यान देना चाहिए और जल्द से जल्द भवनों की मरम्मत और पुनर्निर्माण सुनिश्चित करना चाहिए।

पलवल जिले में शिक्षा के विकास और बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए इस दिशा में ठोस कदम उठाना अब आवश्यक हो गया है। इसके लिए न केवल सरकार बल्कि स्थानीय समुदाय और अभिभावकों को भी मिलकर इस समस्या का समाधान तलाशना होगा ताकि बच्चों को एक सुरक्षित और सकारात्मक शैक्षिक माहौल प्रदान किया जा सके।