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Chandigarh Navjot Singh Sidhu ने फिर दिखाए तेवर, बोले- हाईकमान ने सम्मान दिया, लेकिन समझौता करके कैसे आगे बढ़ेंगे

 

हरियाणा न्यूज़ डेस्क !!!  कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके नवजोत सिंह सिद्धू ने एक बार फिर अपना तेवर दिखाया है। गुरुवार को सिद्धू ने कांग्रेस प्रदेश प्रभारी हरीश रावत और पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ बैठक से पहले इंटरनेट मीडिया पर एक वीडियो साझा किया। इसमें उन्होंने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए। साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस आलाकमान ने सम्मान दिया है, लेकिन हम समझौता करके कैसे आगे बढ़ सकते हैं। सिद्धू ने कहा कि भ्रष्टाचार नीचे से ऊपर की ओर और ईमानदारी ऊपर से नीचे की ओर जाती है।

सिद्धू के बयान से संकेत मिलता है कि वह गुरुवार को पंजाब प्रभारी हरीश रावत और एस वेणुगोपाल के साथ बैठक में समझौता करने के मूड में नहीं हैं। अप्रत्यक्ष रूप से सिद्धू ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा पहली कैबिनेट बैठक में लिए गए निर्णय का भी विरोध किया, जिसमें उनकी जमीन में रेत होने पर उन्हें मुफ्त में रेत निकालने की अनुमति दी गई थी। सिद्धू ने कहा, वह रेत निकालेगा, जिसकी जमीन में रेत है और उसके पास संसाधन होंगे, लेकिन क्या खरीदार इसे मुफ्त में पाएगा। उन्होंने कहा कि शराब की कीमत तय है। इसी तरह बालू की कीमत भी तय होनी चाहिए। सिद्धू ने जोर देकर कहा कि पंजाब की समस्या का सबसे बड़ा कारण राजस्व है। माफिया पंजाब को बर्बाद कर रहे हैं।

नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि उनका किसी से निजी झगड़ा नहीं है। बात पंजाब की है। आलाकमान ने तो सम्मान दिया है, लेकिन समझौता करके हम कैसे आगे बढ़ सकते हैं। साथ ही उन्होंने मुफ्त में देने की सरकार की योजनाओं पर भी उंगली उठाई। उन्होंने कहा कि चुनाव आते ही सरकार मुफ्त की घोषणा करने लगती है। साढ़े चार साल में ये सब क्यों नहीं हुआ?

बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू ने 28 सितंबर को प्रदेश प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया था। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा इकबाल प्रीत सिंह सहोता को कार्यवाहक डीजीपी और एपीएस देओल को महाधिवक्ता नियुक्त किए जाने के विरोध में उन्होंने इस्तीफा दे दिया। सिद्धू ने कहा कि बेअदबी मामले में पहली एसआईटी का नेतृत्व सहोता ने किया था। इस एसआईटी की रिपोर्ट पर दो मासूम सिखों को उठाया गया। देओल ने पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी सहित पुलिस अधिकारियों के मामले लड़े थे, जिनके नाम बेअदबी मामले में जुड़े थे। सिद्धू ने अपनी ही सरकार के खिलाफ इस्तीफा दिया था। इससे कांग्रेस को काफी नुकसान हुआ।

सिद्धू ने अभी तक अपना इस्तीफा वापस नहीं लिया है। पंजाब कांग्रेस का एक बड़ा तबका नहीं चाहता कि सिद्धू अध्यक्ष के रूप में अपना काम जारी रखें। वहीं कांग्रेस की समस्या यह है कि 2022 का चुनाव सिर पर आ गया है, उसे फिर से नया मुखिया खोजने की कवायद शुरू करनी होगी।

चंडीगढ़ न्यूज़ डेस्क !!!